एक नहीं दो बार मनाया जाता है यहां होली का त्यौहार, रंग गुलाल नहीं बल्कि इस खास चीज से खेलते हैं होली

Vitthal Birdev Utsav: मार्च शुरू होते हैं लोग होली की तैयारी में जुट जाते हैं। पूरे भारत में होली को बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और लोग साल भर इसका इंतजार करते हैं। आप भी अगर होली खेलने के शौकीन है, तो आज हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां साल में एक नहीं दो-दो होली के त्योहार मनाए जाते हैं।

हम बात कर रहे हैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर  के पट्टन कोडोली गांव की । यहां मार्च महीने में मनाए जाने वाली होली पूरे देश की तरह रंग गुलाल से ही खेली जाती है , लेकिन साल की दूसरी होली जो की अक्टूबर के महीने में खेली जाती है उसके लिए रंग गुलाल की जगह हल्दी का प्रयोग किया जाता है। होली मनाने का यह त्यौहार विठ्ठल बिरदेव उत्सव के नाम से जाना जाता है।

तो चलिए अब जानते हैं, इस अनोखी होली की परंपरा के बारे में कुछ खास बातें-

 

विट्ठल बिरदेव उत्सव 

  • हल्दी वाली होली का त्योहार महाराष्ट्र के पट्टन कोडोली गांव में मनाया जाता है, जो कोल्हापुर के पास स्थित है।
  •  महाराष्ट्र के कोल्हापुर में, होली अक्टूबर में भी मनाई जाती है, लेकिन एक बदलाव के साथ – रंगों के बजाय हल्दी का उपयोग किया जाता है। कोल्हापुर में यह विशेष होली उत्सव कई कारणों से महत्व रखता है।
  • तो अगर आप भी होली खेलने के शौकीन है तो अक्टूबर के महीने में  पट्टन कोडोली पहुंचकर इस अनोखी होली को इंजॉय कर सकते हैं
  • यह विशेष उत्सव, जिसे विट्ठल बिरदेव के त्योहार के रूप में भी जाना जाता है, गाँव में भगवान विट्ठल देव की जयंती के रूप में मनाया जाता है।
  • परंपरा के तहत इस अवसर पर हल्दी से होली खेली जाती है।
  • श्री विट्ठल देव जी को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। कुछ इलाकों में इनकी पूजा भगवान कृष्ण के रूप में भी की जाती है।
  • महाराष्ट्र के आसपास के अन्य राज्यों जैसे कर्नाटक गोवा आंध्र प्रदेश में रहने वाले गडरिया समुदाय के लोग उन्हें अपना कुल  देवता भी मानते हैं।
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  • श्री विट्ठल बिरदेव उत्सव विट्ठल बिरदेव महाराज की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। बर्देव महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में रहने वाले चरवाहा समुदाय, धनगर के पारिवारिक देवता भी माने जाते हैं।
  • विट्ठल गुरुदेव फेस्टिवल में एक अनोखी परंपरा भी निभाई जाती है जिसके अंतर्गत श्री केलोबा राजाबाउ वाघमोड़े नाम के बाबा जी इस गांव में आकर खेती के लिए मौसम की भविष्यवाणी करते हैं।
  • यह बाबा जी सोलापुर जिले के अंजुंगौ गांव में रहते हैं और वहां से पैदल यात्रा द्वारा 17 किलोमीटर की दूरी तय करके इस गांव में पहुंचते हैं।
  • जहां वे एक बरगद के पेड़ के नीचे आसन लगाकर बैठ जाते हैं और गांव वाले उनका स्वागत हल्दी और नारियल के बुरादे से तिलक करके करते हैं।
  • इसके बाद पट्टन कोडोली गांव में होली का यह अनोखा त्यौहार हल्दी से खेला जाता है।
  • इस अनोखे त्यौहार का हिस्सा बनने के लिए पर्यटक दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं।

 

तो अगर आप भी होली खेलने के शौकीन है तो महाराष्ट्र की कोल्हापुर के इस अनोखे गांव में पहुंचकर अपने इस मनपसंद त्योहार का आनंद ले सकते हैं।