बिहार में इंजीनियरिंग की नौकरी छोड़ शुरू की मशरूम की खेती, अब औरों को दे रहे है रोजगार

vaishali engineer rajiv ranjan mushroom farming

इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद कई ऐसे युवा हैं, जो खेती की ओर रुख कर रहे हैं। मसलन, अब नई पीढ़ी बढ़िया पैकेज की सैलरी वाली नौकरी से बेहतर खेती को मान रही है।

ऐसे ही युवाओं की सूची में बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर के रहने वाले 45 वर्षीय राजीव रंजन भी शाम‍िल हैं। ज‍िन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और पुणे की एक मल्टीनेशनल कंपनी की अच्छी खासी सैलरी वाली नौकरी भी की।

Rajeev is cultivating button mushroom since 8 years
8 साल से बटन मशरूम की खेती कर रहे हैं राजीव

लेक‍िन अब वे नौकरी ड़कर 8 साल से बटन मशरूम की खेती कर रहे हैं। राजीव वैशाली जिले के पहले किसान थे, जिन्होंने बटन मशरूम की खेती करना शुरू किया था।

कई महिलाओं व पुरुषों को दे रहे हैं रोजगार

कई सम्मान से सम्मानित राजीव कहते हैं कि जब वह नौकरी के दौरान डेनमार्क गए थे। वहां उन्होंने ने मशरूम की खेती के बारे में जाना। स्वदेश आकर इसकी खेती शुरू की।

राजीव अपने नाम के आगे इंजीनियर की जगह किसान लगाना ज्यादा पसंद करते हैं। अपनी नौकरी करने के दौरान इन्होंने कई बार देश विदेश का दौरा किया।

Rajeev Ranjan, 45, a farmer from Hajipur in Vaishali district
वैशाली जिले के हाजीपुर के रहने वाले 45 वर्षीय किसान राजीव रंजन

वहीं बटन मशरूम के क्षेत्र में अलग पहचान बनाने के साथ कई महिलाओं व पुरुषों को रोजगार दे रहे हैं। ये कहते हैं कि नौकरी के दौरान भले एक अच्छी सैलरी मिल सकती है। लेकिन सामाजिक स्तर पर मेरी जो पहचान बनी है। वह मशरूम की खेती से ही संभव हुआ है।

दो कमरों में शुरू की मशरूम खेती

प्रगतिशील किसान राजीव रंजन कहते हैं कि वे नौकरी के दौरान डेनमार्क गए थे, जहां उन्होंने मशरूम की खेती को नजदीक से देखा। उसके बाद वह बिहार वापस आए। तो 2012 में पाया कि यहां मशरूम की खेती बड़े स्तर पर नहीं हो रही है।

इसके बाद बचपन से ग्रामीण जीवन से लगाव होने के चलते स्वदेश वापस आए। 2015 में कृषि विभाग से 10 लाख एवं बैंक से 20 लाख रुपए की मदद से दो कमरे में बटन मशरूम की खेती की।

Mushroom farming started in two rooms
दो कमरों में शुरू की मशरूम खेती

आगे वे कहते हैं कि उस समय परिवार से लेकर हर कोई यही सवाल करता था। इस मशरूम की खेती में कोई दम नहीं है। एक अच्छी नौकरी छोड़कर बिहार में क्या करने आए हो।

500 किलो प्रतिदिन बटन मशरूम का है उत्पादन

किसान तक से बात करते हुए राजीव कहते हैं कि 2015-16 के शुरुआती समय में 2 कमरे से करीब प्रतिदिन 60 किलो मशरूम का उत्पादन होता था। लेकिन आज 6 कमरे से हर रोज का 500 किलो बटन मशरूम का उत्पादन हो रहा है।

वहीं बाजार में 150 सौ रुपए प्रति किलो बिक जाता हैं। आगे कहते हैं कि इस बटन मशरूम की खेती से साल का 35 से 40 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है। इसकी खेती के लिए तैयार होने वाला खाद भी खुद बनाते हैं।

500 kg button mushroom is produced daily
प्रतिदिन 500 किलो बटन मशरूम का है उत्पादन

वहीं शुरुआती समय में बाहर से मंगवाना पड़ता था। करीब 22 कट्ठा एरिया में बटन मशरूम की कंपनी है और ये मशरूम उत्पादन के बाद बेकार खाद को 2 रुपए प्रति किलो के भाव से बेच देते हैं।

देश से लेकर विदेश तक जाता है मशरूम

राजीव रंजन कहते हैं कि 2015 में जब बटन मशरूम की खेती की थी तब अनुभव कम होने के कारण पूरे साल उत्पादन नहीं हो पा रहा था।

लेकिन 2016 के बाद जब इस खेती से जुड़ी बेहतर जानकारी हासिल की गई तो उसके बाद से उत्पादन में बढ़ोतरी शुरू हुई है और आज उनके प्लांट से उत्पादित बटन मशरूम दूसरे राज्य के लोग भी खा रहे हैं।

Button mushroom known as Nirmala reaches abroad
निर्मला के नाम से मशहूर बटन मशरूम की पहुंच विदेशों तक

आगे कहते हैं कि अपनी माता निर्मला के नाम से मशहूर बटन मशरूम की पहुंच विदेशों तक है। जिनमें नेपाल, बंगाल के लोगों की थाली तक मशरूम पहुंच बना चुकी है।

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