यह है बिहार की 52 परतों वाली वर्ल्ड फेमस मिठाई, नेता से लेकर अभिनेता तक हर कोई है दीवाना
बिहार अपने खान पकवान और संस्कृति के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है, बिहार में सैकड़ों वर्षों का एक समृद्ध इतिहास रहा है। भारत और दूसरे देशों से भी हर साल लाखों की संख्या में लोग बिहार की माटी को देखने पहुंचते है।
खासतौर से बिहार का नालंदा और गया पर्यटन का एक बड़ा हब बन चूका है, ऐसे में आज के इस पोस्ट में हम आपको बिहार के नालंदा जिले में बनने वाली एक ऐसी मिठाई के बारे में बताने जा रहे है जो बिहार के साथ साथ देश विदेशों में काफी मशहूर है। बड़े बड़े नेता से लेकर अभिनेता तक इस मिठाई के फैन है –

जी मिठाई की हम बात कर रहे है वह है “खाजा”, वैसे तो खाजा हर जगह बनता है लेकिन नालंदा जिला मुख्यालय बिहारशरीफ से लगभग 20 किलोमीटर दूरी पर स्थित सिलाव में बनने वाले खाजे की मिठास से पूरी दुनिया वाकिफ है।
जो भी पर्यटक राजगीर, नालंदा और इसके आसपास के इलाकों का भ्रमण करने आते है वह खाजे का जायका लेना कभी नहीं भूलते। 52 परत वाले खाजे की शुरुआत यहां के ही बाशिेंदे काली साह ने करीब 200 साल पहले की थी।
पिछले 200 सालों में भले ही इस मिठाई का नाम खजूरी से खाजा हो गया हो लेकिन खाजा के स्वाद में कोई फर्क नहीं आया है। आम आदमी से लेकर खास तक को यह व्यंजन बहुत लुभाता है। आज इनकी चौथी पीढ़ी इस व्यवसाय से जुड़ी है।

वर्तमान में सिलाव में काली साह के नाम से लगभग दर्जनभर दुकानें है जिन्हें उनकी पीढ़ी के अलग अलग लोग चलाते है, करीब 30 लोगों का परिवार इस व्यवसाय से जुड़ा है। सिलाव में बनने वाला यह खाजा दुनियाभर में फेमस हो चुका है और यह परिवार इसका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी व्यापर कर रहे है।
खाजा मिठाई में कई खासियत होती हैं, एक खाजा 52 परतों की होती है। खाजा मिठाई बिल्कुल किसी पैटीज की तरह दिखती है, खाने में यह कुरकुरा है। इसे मीठा और नमकीन दोनों तरीकों से बनाया जाता है।
सिलाव के खाजा की डिमांड सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं है. बल्कि रांची, दिल्ली, कोलकाता, लखनऊ, कानपुर, मुंबई, बनारस समेत देश के दूसरों शहरों में खाजा मिठाई लोकप्रिय हो चुकी है।
इतना ही नहीं खाजा हमेश से बिहार के ट्रेडिशन का हिस्सा रहा है, आज भी वर्षों पुरानी परंपरा को निभाते हुए लोग शादी या दूसरे मांगलिक कार्यों में खाजा जरूर बनाते है। ऐसे में आप जब भी आप नालंदा घूमने जाएं तो इस मशहूर मिठाई का स्वाद लेना न भूलें।

