23 वर्षीय अरुण का कमाल का आविष्कार,टैंपू पर बना दिया लग्जरी घर

Tamil Nadu youth develops portable house on the back of an auto

कहते हैं न हुनर हर किसी में होती है बस जज्बे की जरूरत है ताकि इस हुनर को निखारा जा सके और सभी के सामने लाया जा सके। जब मन में कुछ करने की लगन, काबिलियत और बुद्धि तीनों मिल जाय तो क्या कहने!

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कमाल का है आविष्कार

कई इन्सान ऐसे होते हैं जो अपनी बुद्धि के प्रयोग कर ऐसे अविष्कार कर बैठते हैं जो हमारी कल्पना से भी परे होती हैं। ऐसा ही कुछ कमाल कर दिखाया है तमिलनाडु के नामक्‍कल जिले में रहने वाले अरुण प्रभु ने।

Tamil Nadu Youth Develops Portable House on the Back of an Auto Rickshaw

अरुण पेशे से आर्किटेक्‍ट हैं। उन्होंने अपने सपनों का जो अदभुत आशियाना बनाया है, वह सभी के लिए किसी अजूबे से कम नहीं है। आज हर कोई अरुण के इस काम की जमकर तारीफ कर रहा है।

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सारी सुविधा से लैस ऑटो

चेन्नई के 23 वर्षीय युवा अरुण प्रभु एक ऐसे घर की कल्पना कर रहे थे जिसमें न केवल घूमने-फिरने जाया जा सके, बल्कि उसमें रहा भी जा सके। अपने इस आइडिया को उन्होंने अपने हुनर से मूर्त रूप दिया और अपने ऑटो को ही एक सुंदर घर में तब्दील कर दिया।

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इस घर में उनकी आवश्यकता की सारी सुविधाएँ मौजूद हैं। वे जहाँ भी जाते हैं, अपना वह घर साथ ले जाते हैं। उन्होंने इस घर को स्वयं ही डिज़ाइन किया है और इसका नाम ‘सोलो 0.1’ रखा है।

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रेस्टोरेंट की तरह सारी सुविधा मिलती है

अरुण का यह चलता-फिरता घर छोटा तो है पर इसमें सब सुविधाएँ मौजूद हैं, जो एक आम आदमी के घर में होती हैं। उनके घर में एक बेडरूम है, एक मॉड्यूलर किचन भी है और बाथरूम भी है।

ये पूरा घर किसी महंगे प्लॉट पर नहीं, एक तिपहिया ऑटो पर बना हुआ है। तस्वीरें देखने से पहले आप इसकी सिर्फ कल्पना कर सकते थे। अरुण बताते हैं कि इस मोबाइल होम की प्रेरणा चेन्‍नई में मिली थी।

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अरुण उनकी पढ़ाई

उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई चेन्नई में ही पूरी की थी। वर्ष 2019 के दौरान जब उन्होंने चेन्नई व मुंबई की झोपड़ीयों में अपना वक्त बिताया, तो उन्हें एहसास हुआ कि यहाँ सभी सुविधाएं नहीं मिल पाती है।

एक झुग्गी-झोपड़ी बनाने में भी कम से कम 4-5 लाख रुपये का ख़र्च आ जाता है। लोगो की जरूरत और अपने इसी विचार के चलते अरुण को तीन पहियों पर बने मोबाइल होम का आइडिया आया और उन्होंने ऑटो रिक्शा को घर में तब्दील कर दिया।

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अरुण बहुत ज़्यादा एजुकेटेड फैमिली से नहीं जुड़े हैं लेकिन वह अपने परिवार में ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जिसने ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी की है। अरुण के परिवार में सभी बिजनेस करते हैं।

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अरुण कहते हैं कि ‘झुग्‍गी-बस्‍त‍ि‍यों में सब लोग गंदगी में रहा करते हैं। यहाँ स्‍वच्‍छता नहीं होती है। ऐसे ही अस्वच्छ वातावरण में खाना पकाया और खाया भी जाता है। यही सब देखकर मैं इस प्रकार का तरीका सोच रहा था।

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अरुण शुरू से ही कमाल सोचते हैं

उनका शुरू से विचार था कि किस प्रकार झुग्गी बस्तियों में रहने वालों के जीवन में भी परिवर्तन लाया जा सके। इन छोटी बस्‍त‍ियों में ज्यादातर परिवार मजबूरी में केवल 50-100 स्‍क्‍वायर फीट के घर में जीवन गुजारा करते हैं। स्वच्छ माहौल की वजह से यहाँ के लोगों को स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियाँ हुआ करती है।

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अरुण जब चेन्नई में थे तब उन्होंने के ऑटो को घर में बदलते हुए देखा, वहाँ अक्सर लोग ऑटो में ही रात बिता लेते थे। यही सब देखा उन्‍होंने अपनी काबिलियत से तीन पहियों पर घर बना डाला।

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वे अपने इस थ्री-व्‍हीलर कैरेवान को पेटेंट भी करवाना चाहते हैं। जिसके लिए वे अप्लाई कर चुके हैं। अरुण ने बताया कि उन्होंने 6×6 के लेआउट पर इस घर का डिज़ाइन बनाया है।

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सोलर पैनल की भी है सुविधा

इस चलते फिरते घर की खास बात यह भी है कि इसमें सौर ऊर्जा के द्वारा बिजली की आवश्यकता पूरी हो जाती है, क्योंकि अरुण ने इसमें 600 वॉट का सोलर पैनल लगाया है। 250 लीटर का एक वाटर टैंक के साथ ही किचन व बाथरूम के लिए प्‍लम्‍ब‍िंग भी इसमें की गई है।

ऑटो पर बने इस घर में एक 70 लीटर का कंटेनर की भी व्यवस्था है जिसमें कचरा जमा होता है। फिर इसे स्वयं खाली कर दिया जाता है। इस तिपहिया घर को बनाने में अरुण को केवल 1 लाख रुपये का ही खर्च करना पड़ा था।

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इसके लिए उन्होंने अधिकतर रिसाइकल की हुई वस्तुओं का प्रयोग किया है। अरुण ने बताया कि इस घर को तैयार करने के लिये उन्हें 5 से 6 महीने तक का वक्त लगा।