Motivation: 8 साल पहले जिस इंस्टिट्यूट में लिया प्रशिक्षण आज वही बने शिक्षक, पढ़िए मनोज की सफलता की कहानी

success story of manoj chaudhary

Success Story Of Manoj Chaudhary– एक कहावत है ” मेहनत पर भरोसा रख कामयाबी खुद पर खुद चलकर आएगी” इसी कहावत को सच कर दिखाया है गया जिला के बेलागंज निवासी मनोज चौधरी ने, इस लेख में हम आपको ऐसे शख्सियत से मिलवाने जा रहे हैं,जिनकी गिनती आज बिहार राज्य के सबसे सफल उद्यमी ने की जा रही है।

मिली जानकारी के मुताबिक साल 2010 में मनोज चौधरी ने जिस प्रशिक्षण संस्था से खुद ज्ञान लिया था। आज के समय में उसी प्रशिक्षण केंद्र में प्रशिक्षक के पद  पर कार्यरत है।success story of manoj chaudhary

जहां से सीखे वहीं पर अब सिखा रहे हैं

आपको बता दें कि साल 2010 में गया के पंजाब नेशनल बैंक ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्था में मनोज चौधरी ने मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण लिया था|  अपना प्रशिक्षण पूरी करने के बाद मनोज ने इस फील्ड में रोजगार ढूंढते हुए बेलागंज में एक मोबाइल रिपेयरिंग दुकान की शुरुआत किया।

देखते ही देखते मोबाइल रिपेयरिंग दुकान अच्छा चलने लगा। आसपास गांव के सभी लोग अपने मोबाइल की परेशानी लेकर मनोज के पास आने लगे। इससे रोजाना के अच्छे खासे पैसे बनने लगे। कुछ दिनों के बाद मनोज ने इस रोजगार को विस्तारित किया और अपना दूसरा मोबाइल रिपेयरिंग शॉप खोल दी।

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मनोज का यहाँ तक का सफर

साल 2018 में सरकार के तरफ से ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्था में मोबाइल रिपेयरिंग के ड्यूटी ट्रेनर के लिए वैकेंसी निकली थी। उन दिनों मनोज मोबाइल रिपेयरिंग के विशेषज्ञ बन चुके थे। तभी इन्होंने ट्रेनर के लिए ऑनलाइन आवेदन कर दिया।

उसके बाद एक लिखित परीक्षा का आयोजन हुआ जिसमें पहले ही बार में इनको ट्रेनर के लिए चयनित कर लिया गया। अब पिछले 5 साल से मनोज अपने गांव में युवाओं को ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण के अंतर्गत मोबाइल रिपेयरिंग की ट्रेनिंग देते हैं।

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युवाओं को प्रेरित करती है इनकी कहानी

मनोज चौधरी के इस सफलता की कहानी सुनने के बाद युवाओं में एक अलग प्रेरणा भर जाती है। जानकारी के लिए आपको बता दें कि ना सिर्फ गया जिले के युवा बल्कि आसपास के जिले नवादा,अरवल,जहानाबाद ल,औरंगाबाद के युवा भी इनसे मोबाइल रिपेयरिंग का प्रशिक्षण लेते है।

एक इंटरव्यू के दौरान बताया मनोज चौधरी ने बताया पिछले 5 सालों से में आरसेटी मैं ट्रेनर के रूप में सभी युवाओं को अपने अनुभव से मोबाइल रिपेयरिंग सिखा रहा हूं। यह ट्रेनिंग 30 दिनों का होता है जिसमें युवाओं को मोबाइल में आने वाली तकनीकी दिक्कतों के बारे में बताया जाता है।

30 दिन का ट्रेनिंग पूरा हो जाने के बाद संस्था के द्वारा प्रशिक्षण सर्टिफिकेट दिया जाता है। इस सर्टिफिकेट के मदद से यह प्रमाणित होता है कि आपने सफलतापूर्वक मोबाइल रिपेयरिंग कोर्स को पूरा कर लिया है।

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