बिहार में पति हुए बेरोजगार तो पत्नी ने कर्ज लेकर शुरू किया अपना व्यवसाय, अब औरों को दे रही रोजगार

success story husband became unemployed wife set up garment business

कोरोना महामारी और उसके बाद देशभर में लगे लॉकडाउन ने लाखों लोगों को बेरोजगार बना दिया था। इसमें भी कुछ ऐसे मेहनती लोग हुए जिन्होंने कभी हार नहीं मानी और विपदा को अवसर में बदल दिया। यही काम बिहार के बेगूसराय जिले की रहनेवाले सोनी कुमारी ने किया।

लॉकडाउन के पहले फेज के दौरान सोने के पति विजय कुमार चौधरी की नौकरी चली गई। उनकी बेरोजगारी के कारण परिवार संकट में आ गया।

इससे उबरने के लिए सोनी ने सोचना शुरू किया। उन्होंने देखा कि लॉकडाउन के दौरान मास्क की जरूरत हर शख्स को है। ऐसे में सोनी ने मास्क निर्माण का काम शुरू कर दिया। इस काम से उनका घर तो संभला ही, आज वह अपने गांव व इलाके के लिए मिशाल बन चुकी हैं।

लोगों की जरूरत देख आया आइडिया

बेगूसराय जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर दूर खोदावंदपुर प्रखंड के मेघौल पंचायत के विजय चौधरी की पत्नी सोनी कुमारी आसपास के लोगों को आज रोजगार देने का काम कर रही हैं। सोनी ने बताया कि वे पारस जीविका की सदस्य हैं।

Sony has started manufacturing masks
सोनी ने मास्क निर्माण का काम शुरू कर दिया

शुरुआती दौर में किसी भी प्रकार की कोई सरकारी सहायता नहीं मिली। छोटे स्तर से मास्क का निर्माण करते गए और बिकने पर आगे बढ़ते गए। जीविका से भी कोई खास सहयोग नहीं मिला। तब कर्ज लेकर काम करना शुरू किया।

कर्ज लेकर शुरू किया काम

सोनी ने बताया कि प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत 50 हजार की राशि मिलने की बात बताई गई, जिससे काफी खुशी मिली। लेकिन समय पर न मिलने से निराश भी हुए।

Soni Kumari is working to provide employment to people around
सोनी कुमारी आसपास के लोगों को आज रोजगार देने का काम कर रही हैं

कुछ मददगार ग्रामीण मिल गए, जिनसे कुछ कर्ज लेकर मास्क बनाने की शुरुआत की। साथ ही साड़ी और गारमेंट तैयार करने के लिए मशीन खरीदी। धीरे-धीरे कर्ज लौटाते हुए आगे बढ़ते रहे।

बाद में प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना से 50 हजार की राशि मिली। जिससे थोड़ी बहुत आर्थिक रूप से मजबूत हुई। हालांकि यदि सरकार से अधिक सहायता मिले तो कई उपकरण इस उद्योग को आगे बढ़ाने के लिए लगा सकते हैं।

हर महीने 40 से 50 हजार कमाई

सोनी कुमारी और उनके पति विजय चौधरी ने बताया कि हालत सुधरी तो अभी 20 से 25 लोगों को रोजाना काम दे रहे हैं और 3 लाख की साड़ी और महिलाओं के कुछ गारमेंट बेचकर 40 से 50 हजार रुपए हर माह कमाई हो रही है।

Earning 40 to 50 thousand every month
हर महीने 40 से 50 हजार कमाई

इनके साथ काम कर रहे अमूल गद्दी ने बताया कि वह पश्चिमी चंपारण के रहनेवाले हैं और पहले सूरत में काम किया करते थे। लेकिन आज बिहार में काम मिल रहा है और हम काफी खुश हैं।

काम कर रही गीता देवी ने बताया 10 हजार हमें भी यहां काम करने के मिलते हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा अगर कुछ करने की चाहत हो तो हर मुश्किल राह आसान हो जाती है।