बिहार के नालंदा में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती, प्रति एकड़ हो रही 3 लाख तक की कमाई

strawberry farming in nalanda bihar

बिहार का नालंदा शिक्षा समेत अन्य कई क्षेत्रों में अव्वल रहा है। धान, गेहूं और आलू की खेती में यहां के किसानों ने कई रिकॉर्ड बनाए हैं। अब किसान स्ट्रॉबेरी की खेती को भी नई पहचान दिला रहे हैं।

नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड के रामचक निवासी अनुज कुमार पिछले चार वर्षों से स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry farming) कर रहे हैं।

Strawberry cultivation started in Nalanda, Bihar
बिहार के नालंदा में शुरू हुई स्ट्रॉबेरी की खेती

उनकी प्रति एकड़ दो लाख तक की कमाई हो जाती है। उनका कहना है कि स्ट्रॉबेरी के लिए बेहतर बाजार और ब्रांडिंग हो जाए तो आमदनी का ग्राफ प्रति एकड़ तीन लाख से पार हो जाएगा। अनुज कुमार जिले के किसानों के लिए प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

दस कट्ठा में शुरू की स्ट्रॉबेरी की खेती

चटक लाल रंग का यह फल जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही सेहतमंद भी होता है। इसका रसदार खट्टा-मीठा स्वाद लोगों को बेहद भाता है। साथ ही इसकी खुशबू भी इसे दूसरे फलों से अलग बनाती है।

Strawberries are as tasty as they are healthy
स्ट्रॉबेरी जितना स्वादिष्ट होता है, उतना ही सेहतमंद भी होता है

अच्छी बात यह भी कि अनुज कुमार के मार्गदशन में रामचक के किसान शिव कुमार महतो ने भी इस साल से दस कट्ठा में स्ट्रॉबेरी की खेती (strawberry farming) शुरू की है। सूबे के औरंगाबाद जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है।

एक दिन के अंतराल पर 40 से 50 किलो फल

किसान अनुज कुमार आज दो एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। वे बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी के पौध पुणे या हिमाचल प्रदेश से लाकर सितंबर के पहले सप्ताह में लगाया है। प्रति एकड़ पच्चीस हजार पौधे लगे हैं। सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम है।

Farmer Anuj Kumar is cultivating strawberries in two acres today
किसान अनुज कुमार आज दो एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं

लेकिन, बाजार की व्यवस्था के लिए अबतक पहल नहीं की गई है। इसी कारण अन्य किसान इसकी खेती करने में रुचि नहीं ले रहे हैं। रोपाई के दो महीने बाद पौधों में फल लगने लगते हैं। दिसंबर से फल की तुड़ाई शुरू हो जाती है। फिलहाल एक दिन के अंतराल पर 40 से 50 किलो फल मिल जाता है।

ऐसे की जाती है मार्केटिंग

ढाई सौ से तीन सौ ग्राम फल की पैकेजिंग कर मार्केटिंग के लिए पटना या कोलकाता भेजा जाता है। एक एकड़ में चार लाख रुपये की पूंजी लगती है। एक मौसम में पूंजी छोड़ दें तो ढाई से तीन लाख तक की बचत हो जाती है।

Strawberry is being cultivated on a large scale in Aurangabad district
औरंगाबाद जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है

स्ट्रॉबेरी की मार्केटिंग सबसे बड़ी समस्या है। फल को पटना या कोलकाता की मंडियों में भेजने पर भी पूरा रिस्क किसान को ही उठाना पड़ता है। मंडी में भेजने के बाद फल की बिक्री हो जाती है तो छह प्रतिशत एजेंट कमीशन काटकर भुगतान करता है।

Aurangabad farmers get subsidy from the government for strawberry cultivation
औरंगाबाद के किसानों को स्ट्राबेरी की खेती के लिए सरकार से सब्सिडी मिलती है

स्थिति तब खराब हो जाती है जब बिक्री नहीं होने पर पूरा नुकसान किसान को उठाना पड़ता है। औरंगाबाद के किसानों को स्ट्राबेरी की खेती (strawberry farming) के लिए सरकार से सब्सिडी मिलती है। लेकिन नालंदा के किसानों को स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सब्सिडी नहीं मिलती।

स्ट्रॉबेरी के कई फायदे

स्ट्रॉबेरी का फायदा ऑषधि के रूप में भी देखा जाता है। एक शोध के अनुसार स्ट्राबेरी (strawberry farming) में कैंसर से बचाव के गुण होते हैं और इसके उपचार में स्ट्रॉबेरी प्रभावी असर दिखा सकती है।

नालंदा उद्यान कॉलेज के फल वैज्ञानिक डा. महेंद्र पाल ने बताया कि स्ट्रॉबेरी में एंटीऑक्सीडेंट गुण और पॉलिफेनोल कंपाउंड होते हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।

Many benefits of strawberries
स्ट्रॉबेरी के कई फायदे

इसमें मौजूद विटामिन सी त्वचा और बालों का खयाल रखने में सहायक हैं। जिला उद्यान पदाधिकारी डॉ. अभय कुमार गौरव ने बताया कि नगरनीसा में तीन किसान स्ट्रॉबेरी की खेती कर रहे हैं। जिले में पांच हेक्टेयर में खेती करने का लक्ष्य है।