बिहार के मुर्गीपालकों के लिए सोनाली बनी वरदान, सालाना 4 लाख की कमाई, जाने खासियत
हाल के वर्षों में मुर्गी पालन बड़ा व्यवसायिक रूप ले चुका है। काफी संख्या में युवा भी मुर्गी पालन व्यवसाय से जुड़े हैं। अगर आपको कम समय में आपको लखपति बनना है, तो सोनाली प्रजाति की मुर्गी का पालन करें। यह मुर्गी पालकों के लिए वरदान है।
मुर्गी की यह प्रजाति सामान्य प्रजाति से अलग है। यह देसी मुर्गी की तरह दिखने के साथ स्वाद में भी बेहतर है। इस कारण इसका बाजार मूल्य भी बेहतर है।

इसके साथ ही इस प्रजाति में बीमारी की संभावना काफी कम रहने के कारण नुकसान न के बराबर होता है। जबकि इसकी वृद्धि पॉल्ट्री की तरह ही होती है। देसी जैसी शक्ल व स्वाद के कारण इसकी डिमांड भी बाजार में अधिक रहने के कारण इसकी बिक्री अधिक मूल्य में होती है।
पश्चिम बंगाल की है यह प्रजाति, होता है अच्छा मुनाफा
सोनाली प्रजाति मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल से आती है, लेकिन गया के टिकारी मे भी इसका उत्पादन शुरु हो गया है। यहां ब्रीडिंग कर अंडे से चुजा तैयार किया जाता है। किसानों को 25 ग्राम का चूजा उपलब्ध कराया जाता है।
जिसका मूल्य 21-28 रुपये आता है। जो 80 से 85 दिनों में डेढ़ से दो किलोग्राम वजन का हो जाता है। इसके भोजन के लिए मक्का का दर्रा व हरा चारा उपलब्ध कराया जाता है।

जबकि इसमें रोग की संभावना कम रहने के कारण दवाओं का प्रयोग काफी कम होता है। इसकी बिक्री थोक भाव मे 180-250 रुपये प्रतिकिलों होता है, जबकि खुदरा भाव 280-320 किलो मार्केट मे मिलता है।
थोक बाजार और खुदरा में ये है भाव
सोनाली प्रजाति के सहारे मुर्गीपालन व्यवसाय को अलग पहचान देने वाले गया के टिकारी प्रखंड के निवासी अंकित कुमार सिंह बताते हैं कि थोक बाजार में इसकी बिक्री 180 से 250 रुपये प्रतिकिलो तक होती है।
इसके कारण उन्हें बेहतर मुनाफा मिल रहा है। अंकित बताते हैं कि वर्ष में चार बार वे चूजा से मुर्गा और मुर्गी तैयार करते हैं। इससे उन्हें 3 से 4 लाख तक की आमदनी होती है।

अभी इनके पास 2 हजार की संख्या मे सोनाली मुर्गी मौजूद है। इनके अंडों से चूजा तैयार किया जाता है। चूजा तैयार करने के लिए बकायदा 40 लाख रुपए की लागत से मशीन भी लगाई है। एक महीने में चूजा तैयार हो जाता है।
पिता ने 3 साल पहले शुरू किया पालन
इन्होंने बताया इन चूजो की डिमांड लोकल स्तर पर ही है और गया तथा आसपास के जिले के किसान यहां से थोक भाव मे ले जाते हैं। तीन साल पहले पिताजी ने मुर्गी पालन का प्रशिक्षण लेकर व्ययसाय आरंभ किया था।

इस दौरान उन्हें सोनाली प्रजाति की जानकारी मिली। पहले छोटे स्तर पर इसका पालन शुरू किया और बेहतर मुनाफा मिलने के बाद उन्होंने वृहद पैमाने पर इसका उत्पादन शुरू किया।

इसका रखरखाव काफी सुलभ है, जबकि बीमारी की संभावना काफी कम रहने के कारण नुकसान न के बराबर होता है। अगर किन्ही को होम डिलीवरी चाहिए तो इस 6207852025 पर संपर्क कर सकते हैं।


