सिर में चोट से 1 साल बिस्तर में रहे पर नहीं मानी हार , वर्ल्ड चैंपियनशिप नीलकंठ भानु ने खडी कर दी 810 करोड़ की कंपनी :
मैथ्स एक ऐसा सबजेक्ट है जिसको लेकर बच्चों के दिमाग में कहीं न कहीं एक डर बैठा रहता है। बच्चे अक्सर गणित से दूर भागते हैं लेकिन बच्चों के मन से इस डर को निकालने का काम नीलकंठ भानु ने बखुबी किया है।

उन्होंने माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड (MSO) के मेंटल कैलकुलेशन वर्ल्ड चैंपियनशिप में इंडिया के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता था। उनके नाम पर पांच वर्ल्ड रिकॉर्ड्स हैं। इसके अलावा 50 लिम्का रिकॉर्ड्स हैं। हैदराबाद के नीलकंठ भानु “हर वक़्त अंकों के बारे में सोचते रहते हैं” और अब वो दुनिया के सबसे तेज़ ह्यूमन कैलकुलेटर हैं।

नीलकंठ ने बताया मैं एक स्कूल जानें वाला बच्चा था। लेकिन पांच साल की उम्र में एक दुर्घटना की वजह से मुझे एक साल बिस्तर में रहना पड़ा। डॉक्टर ने मेरे माता-पिता को कहा गया था कि मेरे देखने-सुनने-समझने की क्षमता पर असर पड़ सकता है। फिर मैं पजल आदि सॉल्व करने लगा। मैंने अपने दिमाग को व्यस्त रखने के लिए मेंटल मैथ्स कैलकुलेशन करना शुरू किया। धीरे-धीरे इसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ती गई।

भानू ने कहा कि मेरे पेरेंट्स ने मेरी दिलचस्पी को देखते हुए मुझे शतरंज के लिए भेज दिया। उस दौरान एक दो अर्थमेटिक चैंपियनशिप हो रहे थे, जिसमें एक में मैंने हिस्सा लिया। मै तीसरे पॉजिशन पर आया। और फिर इसी तरह मैं चैंपियनशिप में हिस्सा लेता गया। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं फास्टेस्ट ह्यूमन कैलकुलेटर बन जाउंगा।

वो कहते हैं कि “मैं हर वक़्त अंकों के बारे में सोचता रहता हूं।” भानु बताते हैं, “मैं तेज़ संगीत बजाकर प्रेक्टिस करता हूं, इस बीच लोगों से बात करता हूं, मिलता हूं और क्रिकेट भी खेलता हूं। क्योंकि इससे आपका दिमाग एक वक़्त में कई सारी चीज़ें एक साथ करने के लिए ट्रेन होता है।”

देसी-विदेशी स्टूडेंट्स तक पहुंचने का इरादा वर्ष 2020 में ब्रिटेन में आयोजित ‘माइंड स्पोर्ट्स ओलंपियाड’ जीतने वाले पहले एशियाई बनने के बाद नीलकंठ भानु ने उसी वर्ष ‘भांजु’ की नींव रखी। जिसकी वैलयूएशन 10 करोड़ डॉलर (810 करोड़ रुपये) पर पहुंच गई है। आज ‘भांजु’ के जरिये वे तीस हजार से अधिक स्टूडेंट्स एवं उनके पैरेंट्स का विश्वास प्राप्त करने में सफल रहे हैं।

