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पढ़ाई के बाद नहीं मिली नौकरी तो स्वरोजगार की अपनाई राह , लाखों की कमाई के साथ-साथ दूसरे लोगों को भी देते हैं नौकरी

Self-Employed Business Idea in Bihar: आजकल के समय में पढ़ लिखकर अच्छी सी नौकरी मिल जाए, यही हर युवा का सपना होता है। नौकरी की तलाश में अपना गांव और शहर छोड़ कर लोग देश-विदेश पहुंच जाते हैं। सरकारी नौकरी की चाह में बहुत से युवा तैयारी करने में काफी समय लगाते हैं, परंतु जब नौकरी नहीं मिलती, तो निराश हो जाते हैं।

परन्तु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं ,जो निराशा और नकारात्मकता को पीछे छोड़कर अपनी मेहनत के दम पर एक अच्छा मुकाम हासिल करते हैं।

आज के इस लेख में हम आपको बिहार के ऐसे ही एक मेहनती और होनहार युवा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने लाख कठिनाइयां झेलने के बाद भी हार नहीं मानी , और  खुद के दम पर आज वे लाखों की कमाई करने के साथ-साथ दूसरे कई लोगों को भी रोजगार दे रहे हैं।

हम बात कर रहे हैं, बिहार के बांका जिले के रहने वाले शिवम के बारे में। जिन्होंने अपना खुद का रोजगार शुरू किया और अब लाखों की कमाई कर रहे हैं।

निराशा में भी ढूंढी आशा की किरण

बांका के रहने वाले शिवम कुमार ने अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई खत्म करके नौकरी तलाश करनी शुरू कर दी। काफी कोशिशें के बाद भी जब उन्हें अच्छी नौकरी नहीं मिली तो वे  काफी हताश हो गए। निराशा के इस समय में उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और रोजगार के नए रास्ते तलाशते रहे।

फिर उन्होंने निर्णय किया कि अब दूसरों की नौकरी करने  से अच्छा है खुद के लिए रोजगार बनाना।  इसके बाद उन्होंने यूट्यूब पर कई रोजगार उपक्रम के बारे में देखना शुरू किया। जिसमें से उन्हें नोटबुक बनाने का काम अपने अनुसार ठीक लगा। फिर क्या था, उन्होंने ठान लिया कि अब यही काम करेंगे। और उन्होंने नोटबुक बनाने के बिजनेस के बारे में जानकारी इकट्ठा करना शुरू किया।

उद्योग विभाग से आर्थिक सहायता प्राप्त करके उन्होंने एक यूनिट स्थापित कर ली। इसके बाद निरंतर प्रयास और मेहनत करते हुए आज वह बांका और आसपास के कई जिलों में नोटबुक बनाकर उसे सेल करते हैं। इसके अलावा मुंगेर और भागलपुर में भी उनकी बनाई नोटबुक की सप्लाई की जाती है।

होती है अच्छी कमाई

शिवम बताते हैं की मार्केट में नोटबुक की डिमांड हमेशा बनी रहती है। वह ₹5 से लेकर 50-60 रुपए तक की नोटबुक बनाते हैं। जिसमें से 10 और ₹20 वाली कॉपियों की डिमांड सबसे ज्यादा होती है। शिवम के अनुसार उन्होंने उद्योग विभाग द्वारा 10 लख रुपए के अनुदान से इस नोटबुक बिजनेस को शुरू किया है।

धीरे-धीरे करके उनका काम आगे बढ़ने लगा और उनके द्वारा बनाई गई नोटबुक की खपत लोकल मार्केट के साथ-साथ बिहार के अन्य जिलों में भी होने लगी ।

शिवम बताते हैं कि ₹5 की कॉपी को बनाने के लिए ₹4 तक का खर्चा आ जाता है, ज्यादा क्वांटिटी में नोटबुक बनाने से उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है। इस उद्योग से वे सालाना 7 से 8 लख रुपए तक की कमाई कर लेते हैं।

दूसरे लोगों को भी देते हैं नौकरी

शिवम बताते हैं की शुरुआत में वह नोटबुक बनाने का सारा काम खुद ही करते थे। लेकिन जैसे-जैसे काम बढ़ता गया उन्होंने अन्य लोगों को भी कम पर रखना शुरू कर दिया। जिससे वे खुद के साथ-साथ औरों को भी रोजगार दे रहे हैं।