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बिहार के इस बेटे ने विदेशी धरती पर लहराया सफलता का परचम,  हार्वर्ड यूनिवर्सिटी की 42 लाख की स्कॉलरशिप पा कर किया कमाल

Satyam Mishra got scholarship of Rs 42 lakh:  बिहार के अलग-अलग जगह से बेहतर काम करके देश और विदेश में बिहार का और देश का नाम ऊंचा कर रहे हैं। जिसमें खिलाड़ी, टीवी कलाकार, एंटरप्रेन्योर्स  शिक्षक छोटे-छोटे गांव से निकाल कर देश और विदेश में बिहार की संस्कृति और परंपरा को बढ़ा रहे हैं। इन्हीं में से एक है बिहार के भागलपुर के भीखनपुर में रहने वाले सत्यम मिश्रा।

आपको बता दें सत्यम मिश्रा ने शिक्षक के तौर पर पूरी दुनिया में ऐसे बच्चों के लिए काम किया है जो आर्थिक रूप से कमजोर और पिछड़े हुए हैं। उनकी शिक्षा तकनीक को देश-विदेश में सराहा जाता है। शिक्षक सत्यम मिश्रा को दुनिया की प्रतिष्ठित है हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से “टीचिंग एंड टीचर लीडरशिप” के अंतर्गत 42 लाख की स्कॉलरशिप मिली है।

शुरू से ही शिक्षा की तरफ था झुकाव

सत्यम मिश्रा को मैथ्स को एक खास तरह से पढ़ने के लिए जाना जाता है। बिहार के छोटे से इलाके भीखनपुर से आने वाले सत्यम मिश्रा की पढ़ाई भागलपुर के माउंट असीसि स्कूल से हुई थी। शुरू से ही होनहार सत्यम मिश्रा जी ने मैट्रिक की परीक्षा में 90 फ़ीसदी और इंटरमीडिएट की परीक्षा में 77 फ़ीसदी मार्क्स प्राप्त किए थे।

इसके बाद उन्होंने मणिपुर विश्वविद्यालय से 2014 में अपना स्नातक बीटेक द्वारा पूरा किया। टीचिंग में झुकाव की वजह से उन्होंने 2015 में टीच फॉर इंडिया से जोड़कर समाज के आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को पढ़ने के लिए विभिन्न तरीके खोजने शुरू कर दिया।

 

ऋषि सुनक की कर चुके हैं बराबरी

आपको जानकर हैरानी होगी कि भागलपुर के सत्यम मिश्रा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की बराबरी कर चुके हैं। जी हां, सत्यम का चयन फुलब्राइट डिस्टिंग्विश्ड अवार्ड के लिए किया जा चुका है।  जिसके अंतर्गत वह 18 देश में बच्चों को ऑनलाइन वह ऑफलाइन के माध्यम से पढ़ाते हैं।

आपको बता दे ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक को भी 2005 में फुलब्राइट डिस्टिंग्विश्ड अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। जिसे यूएस इंडिया एजुकेशनल फाउंडेशन व  यूएस डिपार्टमेंट आफ स्टेट टीचर्स एक्सचेंज ब्रांच की ओर से दिया जाता है। जिसे अलग-अलग क्षेत्र में बेहतरीन काम करने के लिए दिया जाता है।

बिहार की बेहतरीन के लिए करना चाहते हैं काम

सत्यम बताते हैं कि हार्वर्ड की स्कॉलरशिप मिलने से वह काफी खुश है। अमेरिका में इस स्कॉलरशिप के माध्यम से वे अपनी शिक्षक स्किल को और बढ़ाना चाहते हैं। और बच्चों को पढ़ने के लिए नए-नए रोचक तरीकों की खोज करना चाहते हैं। जिससे पढ़ाई बच्चों के लिए बोझ ना बने।

हर शब्द से वापस लौटकर बिहार में शिक्षा के क्षेत्र में और काम करना चाहते हैं। अपनी ज्ञान और जानकारी को बिहार की सभ्यता और संस्कृति के हिसाब काम करके बिहार को शिक्षा के क्षेत्र में अव्वल दर्जे पर पहुंचाना चाहते हैं।