बिहार के इस शख्स ने कचरे से बनाई ईंट; केंद्र सरकार से मिला पेटेंट, जानिए कैसे
बिहार के आकाश प्रियदर्शी, जो एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर है इन्होने कचरे का उपयोग कर ईंट बनाई है। प्रोफेसर आकाश प्रियदर्शी द्वारा बनाई गई कचरे से ईंट की डिजाइन को भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने रजिस्ट्रेशन का सर्टिफिकेट दिया है, जिसके बारे में हम आपको इस लेख में विस्तार से जानकारी देंगे।
एमआईटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर आकाश प्रियदर्शी ने एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम किया है जिसमें वह कचरे से ईंट बनाने के तरीके का अध्ययन कर रहे थे। इस काम की शुरुआत उन्होंने 4 महीने पहले ही कर दी थी।
उन्होंने यह काम अपने सहयोगियों, हरियाणा केंद्रीय विवि के प्रोफेसर विकास कुमार और विवेकानंद कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी के डॉ. कुलदीप शर्मा के साथ किया था। कचरे से ईंट बनाने में सफलता मिलने के बाद उन्होंने इसके पेंटेंट के लिए आवेदन किया था।
फ्लाई ऐश और कचरे से ईंट बनाने का तरीका
इस प्रोजेक्ट में, प्रोफेसर आकाश और उनकी टीम ने फ्लाई ऐश और फेंके गए कचरे का उपयोग करके ईंट बनाई है। जो कि सामान्य ईंटो की तुलना में चार गुना अधिक मजबूत है। आपको बता दे कि फ्लाई ऐश एक प्रकार की अवशिष्ट है, जो कि बिजली घरों के उपयोग से बनता है।
इसके साथ ही इसे बनाने की लागत कम होने के कारण किफायती भी होती है इसके अलावा, यह घरों को अधिक गर्म नहीं करती, क्योंकि इसकी थर्मल कंडिविक्टि बेहतर होती है। आकाश प्रियदर्शी ने बताया कि 6 महीने में इसे बाजार में ला लिया जायेगा।
होंगा कम प्रदुषण
प्रोफेसर आकाश ने बताया कि सामान्य मिट्टी से ईंट बनाने में काफी प्रदूषण होता है। इसके बजाय, वे फ्लाई ऐश और फेंके गए कचरे से ईंट बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इससे प्रदूषण को कम करने के साथ-साथ, कचरे का बेहतर उपयोग भी हो सकेगा और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।
प्रोफेसर आकाश के अनुसार, यदि फ्लाई ऐश और कचरे से ईंटें बनाई जाएं, तो न केवल गंदगी साफ होगी, बल्कि प्रदूषण का स्तर भी काबू किया जा सकेगा। इसका बड़ा लाभ उन शहरों के लिए हो सकता है जो प्रदूषण से पीड़ित हैं, जैसे कि मुजफ्फरपुर। मुजफ्फरपुर दुनिया के 20 सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है, क्योकि वहां पर अक्टूबर और फरवरी के महीने में हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 500 अंक को पार हो जाती है। जिसका सबसे बड़ा कारण, वायु प्रदुषण और कचरा फेकना है।
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