बिहार: पुश्तैनी जमीन के बटवारा के लिए बन रहा है कानून, इस आधार पर तय होगा जमीन का मालिक

बिहार में पुश्तैनी जमीन के बटवारा के लिए राज्य सरकार एक नए कानून पर कम कर रही है जो की बहुत ही जल्द लोगों के सामने होगा, इस सम्बन्ध में विभागीय मंत्री रामसूरत राय ने मंगलवार को बताया कि राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग इसका प्रारूप बना रहा है। जिसे जल्द से जल्द तैयार कर लिया जायेगा।

पुश्तैनी जमीन का बटवारा होता है मुश्किल

दरअसल पुश्तैनी जमीन के बटवारे में काफी समस्याएं आती है, तो कई बार आपसी सहमति से ही परिवार के लोग इसका बटवारा कर लेते है। सरकार चाहती है कि सहमति आधारित जमीन बंटवारा को कानूनी मान्यता दी जाए। पुश्तैनी जमीन के बटवारे में परिवार के सभी सदस्य हिस्सेदारी को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं जिस वजह से कई बार विवाद भी पैदा हो जाता है।

बहुत जल्द एक नया कानून

आपको बता दे कि इसी साल जुलाई के महीने में मंत्री रामसूरत राय ने पुश्तैनी जमीन के पारिवारिक बंटवारा के लिए नया कानून के बारे में लोगों को जानकारी दी थी। अब यह बताया जा रहा है कि राज्य सरकार इस कानून को लेकर काफी तेजी से काम कर रही है जिसके लिए प्रारूप तैयार किया जा रहा है।

ऐसा होगा प्रारूप

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग पुश्तैनी जमीन के बंटवारा के लिए कानून बनाने के जिस प्रारूप पर विचार कर रहा है, उसमें बहुमत को प्राथमिकता दी जाएगी। किसी परिवार में पुश्तैनी जमीन के पांच हकदार हैं, उनमें से तीन अगर किसी एक प्रारूप पर सहमत हैं तो एक सहमति पत्र बनाकर उसे कानूनी मान्यता दे दी जाएगी। तथा उसी के आधार पर उस जमीन की रजिस्ट्री भी हो जाएगी।

इस सहमति पत्र पर परिवार के बहुमत सदस्यों के साथ ही पंचायत के मुखिया, मुखिया चुनाव के निकटतम प्रतिद्वंद्वी, वार्ड सदस्य और चकबंदी एवं राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी के हस्ताक्षर होंगे। इसे कानूनी मान्यता मिल जाने पर अल्पमत सदस्यों के लिए इस तरह के सहमति पत्र को मानना कानूनी रूप से बाध्यकारी होगा।

मंजूरी के बाद बनेगा कानून

मंत्रीजी ने बताया कि प्रारूप तैयार होने के बाद उसे  विधि विभाग में भेजा जाएगा, वहां से लौटने के बाद उसे कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कोशिश यह है कि चकबंदी से पहले जमीन से जुड़े सभी तरह के विवाद निपट जाएं।