मछली पालन ग्रामीण क्षेत्रों के साथ-साथ शहरों में भी बहुत बड़ा आय का स्त्रोत है। लाखों करोड़ों रूपये का बिजनेस मछली पालन से फल फूल रहा हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में मछली पालन आय का एक बड़ा साधन है।
बड़ी संख्या में ग्रामीण जन मछली पालन करते है। जिससे उनकी रोज़ी रोटी है। मछली पालन से हो रही अच्छी आमदनी को देखते हुए बहुत से किसान नई-नई तकनीकों के साथ इस व्यवसाय के तरफ बढ़ रहे है।
मछली पालन के लिए बहुत सी ऐसी नई तकनीक आ गई है, जिससे कम जगह में लागत कम और मुनाफा अधिक हो गया है। वहीं कुछ लोग अभी भी अपनी पुरानी जमी जमाई तकनीक से अच्छा खासा उत्पादन लेकर कमाई कर रहे है।
ऐसे ही एक मछली पालन करने वाले बेगूसराय के किसान रंधीर महतो सबके लिए प्रेरणा स्त्रोत है। उन्होंने अपने गांव में आयी आपदा से ही अपने लिए अवसर की तलाश कर ली।जिससे मछली पालन में उनको लागत से 10 गुना तक अधिक आय हो रही है।
बाढ़ से उभरे गड्ढों में कर रहे है मछली पालन
यह वाकया बेगूसराय जिला मुख्यालय से लगभग 30 किलोमीटर दूर चेरियाबरियारपुर प्रखंड के बसही पंचायत का है। यहां वर्ष 2007 में अचानक बुधी गंडक नदी के तटबंध टूटने से भयंकर बाढ़ आ गई थी। जिसके प्रकोप से सबकुछ तबाह हो गया था।
बाढ़ का सैलाब लोगो के घर गृहस्थी और रोजगार का साधन सबकुछ अपने साथ बहा ले गया था। जिससे इलाके के लोग तीन वर्षो तक बहुत परेशान रहे। इसी गांव के वार्ड नंबर-10 के रहने वाले स्व. हरिनंदन महतो के पुत्र रंधीर महतो ने अपने गांव में देखा की बाढ़ से हर जगह बड़े-बड़े गड्ढे हो गए हैं। साथ ही बाढ़ के पानी के साथ बालू बहकर खेतों में जमा हो गई है। जिससे अब खेती संभव नहीं है।
शुरुआत में रंधीर महतो ने बाढ़ के पानी से भरे गड्ढों में मछली देखकर इसे मारकर बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे इससे अच्छी आमदनी होने लगी। फिर उन्होंने गांव में बाढ़ के दौरान बने 6 गड्ढे को साहूकारों से लीज पर लिया।
इन गड्ढों में रंधीर ने मछली पालन का कार्य शुरू किया। दरभंगा से ग्लास कप और पेट फुल्ला मछली का बीज इन गड्ढों में लाकर डाल दिया। रंधीर ने बताया कि इन दोनों प्रजाति की मछली का भोजन घास-फूस हैं जिससे मछली का वजन भी काफ़ी बढ़ता है।
जिससे मछली के खाने के लिए अतिरिक्त खर्चा नहीं करना पड़ता है। रंधीर महतो वर्तमान में वार्ड सदस्य के रूप में भी क्षेत्र में सेवा दे रहे है।
मछली पालन से रंधीर की सालाना कमाई है 8 लाख से अधिक
रंधीर बताते है कि उन्होंने 30 हजार रूपये में साल भर के लिए 9 बीघा के गड्ढे को लीज पर लिया है। खेतों तक बिजली पहले से मौजूद है, जिससे पटवन में काफी कम खर्च आता है। जिसका प्रतिमाह लगभग 300 रूपये बिजली बिल आता हैं।
दरभंगा से मछली का बीज लाना और सालभर मछली पालने में 50 से 70 हज़ार रूपये का खर्च आता है। उन्होंने बताया कि इस मछली पालन के व्यवसाय से उनको सालाना 8 लाख रूपये से अधिक की आमदनी होती है। इस तरह पारंपरिक तकनीक से ही मछली पालन करके उन्होंने मिशाल कायम कर दी है।
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