ये है बिहार के दमदार IPS विकास वैभव, इन तस्वीरों के जरिये जानिए इनकी उपलब्धियां
बिहार के IPS विकास वैभव के हैंडल से एक ट्विटर पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि शोभा ओहतकर उनके खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर रही थीं, जिसकी रिकॉर्डिंग उनके पास है।
उन्होंने लिखा कि यात्री मन व्याकुल है। आपको बता दें कि पिछले सप्ताह वरिष्ठ आईएएस अधिकारी केके पाठक का वीडियो वायरल होने के बाद बिहार में यह दूसरा मामला है, जहां उन्हें एक बैठक में अपने जूनियर्स को गाली देते देखा गया था।
जाहिर है मामला सुर्खियों में आ गया है और इसके साथ ही एक बार फिर से विकास वैभव भी। जानकारी के अनुसार, अब मामला सीएम नीतीश कुमार के पास पहुंच गया है।
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दरअसल, विकास वैभव बिहार के तेज तर्रार आईपीएस अफसरों में से एक हैं। उन्होंने कई कठिन कार्यों को अंजाम देकर खूब प्रसिद्धि पाई है। विकास वैभव ने पटना ब्लास्ट मामले का अनुसंधान किया था।
जिसमें एनआईए की विशेष अदालत ने 9 दोषियों में से चार को फांसी, दो को उम्र कैद, दो को दस साल की और एक को सात साल की सजा सुनाई थी।
एनआईए की टीम को संजीव सिंह तत्कालीन आईजी लीड कर रहे थे। डीआईजी अनुराग तनखा थे। लंबी टीम थी जो यह जांच कर रही थी।
इसके कुछ दिन पहले मोतिहारी में ब्लास्ट हुए थे इसके भी आईओ थे। ‘ब्लैक ब्यूटी’ नाम से आतंकवादी संगठन के बारे में उद्भेदन में उनका अहम योगदान माना जाता है।
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आपको बता दें कि विकास वैभव बेगूसराय के बीहट के मूल निवासी हैं। इन्होंने कानपुर से आईआईटी किया था। इसके बाद 2003 में आईपीएस ऑफिसर बने। विकास वैभव का ननिहाल समस्तीपुर जिले के उजियारपुर थानान्तर्गत पचपैका गांव में है, जबकि इनका ससुराल भी समस्तीपुर जिले के ही दलसिंहसराय के केवटा गांव में है।
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परिवार में पत्नी रूपांगी वैभव व दो बच्चे हैं। अभी वे IG रैंक के अधिकारी हैं और बिहार में विशेष सचिव (गृह) के रूप में तैनात हैं। वे एटीएस में डीआइजी रह चुके हैं। इससे पहले बगहा, पटना, रोहतास व दरभंगा में SP/SSP के रूप में कार्य कर चुके हैं।
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विकास वैभव का नाम सुर्खियों में तब आया जब उन्हें एनआईए, दिल्ली से वापस बुलाकर पटना का एसएसपी बनाया गया। विकास वैभव ने अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने माफिया डॉन, नेता अनंत सिंह समेत कई हाई प्रोफाइल गिरफ्तारियां की हैं।
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उनकी कई उपलब्धियां हैं। पटना में जब पहली पोस्टिंग हुई थी, तो 12 हजार केस पेंडिंग थे। 9 महीने के अंदर अनुसंधान तेज करवा के 6000 केस का निष्पादन करवाया। 10 साल से लंबित मामले केवल 9 महीने में आधे हो गए। क्राइम कंट्रोल में अहम भूमिका रही।
इसके बाद बगहा में पोस्टिंग के दौरान संगठित अपराध को काफी हद तक खत्म किया। लोग अपहरण उद्योग कहते थे। लोगों के सहयोग से रत्नाकर और वाल्मीकि के उदाहण के साथ समझाया। मई 2008 में कुख्यात वासुदेव यादव समेत करीब 26 लोगों ने सरेंडर किया।
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इसके बाद रोहतास जिला के नक्सलग्रस्त क्षेत्र में शांति बहाल की। 2008 से 2010 के बीच कम्युनिटी पुलिसिंग के जरिये वहां बदलाव आए। पहली बार वहां तिरंगा फहराया, जो जारी है। नक्सलियों का समर्पण कराया। रोहतास में ही सामुदायिक पुलिसिंग के तहत स्वर्ण महोत्सव आयोजन शुरू कराया। पहाड़ी दुर्गम क्षेत्रों में नक्सलियों के कारण चुनाव नहीं होते थे।
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वर्ष 2009 में 16 अप्रैल को चुनाव होना था और 15 को बीएसएफ की कंपनी पर उग्रवादी हमला हुआ था, उसके बावजूद विकास वैभव ने चुनाव कराने की ठानी। मई 2009 में मतदान हुए। तीन बिल्डिंग के लिए 1600 जवान लगाए गए। जहां वोट ही नहीं होते थे, वहां 50 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ और यहीं से इस इलाके में लोकतंत्र की नींव पड़ गई।
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वर्ष 2011 से 2015 के बीच मैं केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर एनआईए में था। तब आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन के अपराधियों को दबोचने में कामयाब रहे। बिहार के महाबोधि मंदिर में ब्लास्ट हुआ था और फिर 2014 आम चुनाव से पहले जब नरेन्द्र मोदी पीएम उम्मीदवार थे तो उनकी रैली में भी ब्लास्ट हुए थे।
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यासीन भटकल जैसे आतंकी पकड़े गए। उसके बाद कई और गिरफ्तारियां हुई। और भी कई सारी घटनाएं हैं। काफी कुछ सीखने को भी मिला। इसी के साथ उन्होंने मुश्किल से मुश्किल केस को सुलझाया है।


