बर्फ बेचने वाले के बेटे ने BPSC में पाई सफलता, लेकिन लक्ष्य अभी भी नहीं हुआ है पूरा
एक कहावत तो आपने जरूर सुन रखा होगा, “मानव जब जोड़ लगाता है पत्थर पानी बन जाता है”। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है मधुबनी जिले के रहने वाले रमेश ने। अंधराठाढ़ी के अंधरा गांव के रमेश ने अपने मेहनत और लगन से एक ऐसा इतिहास रचा है जो आने वाले कई सालों तक युवाओं के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।
बने सर्किल ऑफिसर
बीपीएससी की 64वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के परिणाम आते है रमेश के घर के साथ इलाके में ख़ुशी का माहौल बन गया दरसअल रमेश इस परीक्षा में उत्तीर्ण हुए है और उन्हें सर्किल ऑफिसर का पद मिला है। रमेश काफी गरीब परिवार से आते है, पिता योगेंद्र पासवान बर्फ बेचकर अपने परिवार का गुजरा करते है। लेकिन रमेश के इस कामयाबी ने पूरे गांव-समाज और इलाके को गौरवान्वित कर दिया है।
बता दे कि भाइयों में सबसे बड़े रमेश बचपन से ही मेधावी थे लेकिन संसाधनों की कमी हमेशा रही, किसी तरह से गांव के ही स्कूल से रमेश ने मैट्रिक और फिर ग्रेजुएशन पूरा किया। परिवार की हालत बहुत अच्छी नहीं थी और इसी वजह से उन्होंने कचहरी सचिव की और फिर बाद में नियोजित शिक्षक के रूप में नौकरी किया।
अंतिम लक्ष्य अभी भी नहीं हुआ पूरा
लेकिन रमेश तो कुछ ही ख्वाब देख रहे थे, नौकरी तो मिली मगर, सपना अभी अधूरा था। बिना किसी कोचिंग और ट्यूशन के शिक्षक की जॉब करते हुए तैयारी की और दूसरे प्रयास में सफलता हासिल की। रमेश आगे यूपीएससी परीक्षा पास करने का लक्ष्य बनाए हुए हैं। कहा कि जिस मुश्किल और बुरे हालात में उन्होंने अपने सपनों को पूरा किया है ,उससे प्रेरणा लेकर कोई भी किसी भी हालत में लगन से कुछ हासिल करना चाहे तो कर सकता है।

