बिहार के 23 साल के किसान सोनू निगम ने किया कमाल, ICAR ने भी किया सम्मानित, जानिए वजह

icar awarded 23 year old farmer sonu nigam of bihar

बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाले 23 वर्षीय किसान सोनू निगम को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने हाल ही में पूसा में लगे कृषि मेले में सम्मानित किया है। सम्मानित होने वाले किसानों के बीच सोनू सबसे कम उम्र के किसान थे।

Union Minister of State for Agriculture Kailash Chowdhary honoring Sonu Nigam
सोनू निगम को सम्मानित करते केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

सोनू बॉटनी, बीएससी से ग्रेजुएट हैं। लेकिन बिहार में सोनू की पहचान सोनू निगम के नाम से नहीं ,सोनू परवल वाले के नाम से है। 56 एकड़ जमीन पर सोनू सब्जी उगाने के साथ ही बकरी, गाय-भैंस और मछली पालन भी करते हैं। सोनू अपने पिता के ऑर्गेनिक फार्मर के सपने को पूरा करने में लगे हुए हैं।

Sonu Nigam, a 23-year-old farmer living in Muzaffarpur, Bihar
बिहार के मुजफ्फरपुर में रहने वाले 23 वर्षीय किसान सोनू निगम

सोनू ने किसान तक से बातचीत के दौरान बताया कि मेरे पिता हाईस्कूल पास थे। लेकिन खेती के दम पर ही उन्होंने कई देशों की यात्रा की। पूसा, समस्तीपुर की समिति के मेम्बर भी रहे। हमेशा प्रोग्रेसिव बातें किया करते थे।

बड़े-बड़े लोग उनसे मिलने आते थे। कई पुरस्कार भी उन्हें मिले थे। इसीलिए हमारी भी तमन्ना है कि खेती में उन्नत कार्य करने के लिए हमें भी एक दिन राष्ट्रपति से पुरस्कार मिले।

पिता की मौत के बाद से संभाल रहे 56 एकड़ की खेती

सोनू की उम्र बेशक कम है, लेकिन उनके हौंसले बहुत बड़े हैं। खुद की छह एकड़ जमीन के साथ ही लीज पर ली गई 50 एकड़ जमीन पर भी सोनू खेती करते हैं। साल 2019 में करंट लगने से पिता की मौत हो गई।

Handling 56 acres of farming since father's death
पिता की मौत के बाद से संभाल रहे 56 एकड़ की खेती

सोनू ने किसान तक को बताया, पिता ने साल 2007 से ऑर्गेनिक खेती शुरू कर दी थी। जिसे वो वक्त के साथ धीरे-धीरे बढ़ाते रहे. राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा, समस्तीपुर भी पिता की मदद करता था।

Will fulfill father's dream of becoming an organic farmer
हर हाल में पिता के ऑर्गेनिक फार्मर बनने के सपने को पूरा करेंगे

इसी के चलते एक किसान के तौर पर पिता ने दुबई, जापान के अलावा दूसरे देशों की यात्रा भी की। पिता की मौत के बाद पूसा ने हमें भी हौंसला दिया। पिता की मौत के बाद खेती और पढ़ाई करने का विकल्प दिया था।

परवल और नींबू से बनी सोनू की पहचान

सोनू बताते हैं कि उन्हें पूसा से ही परवल और नींबू का पौधा मिला था। लेकिन खेती करने के लिए खेत में उतरने के दौरान ही यह फैसला कर लिया था कि हर हाल में पिता के ऑर्गेनिक फार्मर बनने के सपने को पूरा करेंगे और पिता की राह पर ही चलेंगे।

Sonu's identity made of parwal and lemon
परवल और नींबू से बनी सोनू की पहचान

इसलिए जब परवल की खेती शुरू की तो बकरियों की मेंगनी (मैन्योर) से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर उसे परवल में इस्तेमाल किया। हमारा परवल साइज, वजन में दूसरे परवल से अलग है। रेट भी ज्यादा मिलते हैं। अपनी जमीन पर ही वर्मी कम्पोस्ट बनाते हैं। ऐसे ही सीडलेस नींबू उगा रहे हैं।