क्या आपने देखी है बिना मिटटी की खेती? बिहार के पटना में सालों से किया जा रहा ये काम
क्या आपने कभी बिना मिट्टी के पेड़-पौधों को उगता देखा है? या क्या आपने बिना मिट्टी की हरियाली देखी है? अगर नहीं तो आज आपको हम एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं जो बिना मिट्टी के पेड़-पौधे उगा रहे हैं।
इसके साथ ही पटना जैसे शहर में नई तकनीक के सहारे हरियाली को बनाए रखने में छोटा सा अंशदान भी कर रहे हैं। यदि इस तकनीक से तमाम शहरवासी पेड़-पौधे उगाने लगेंगे तो पर्यावरण को काफी हद तक संतुलित रखने में मदद मिल सकती है।
बिना मिट्टी के खेती करने की तकनीक
बिना मिट्टी के खेती करने की तकनीक को हाइड्रोपोनिक कहते हैं। इसमें पानी की जरूरत पड़ती है। पटना के एक शहरी ने इस तकनीक की मदद से छोटा-मोटा गार्डन तैयार कर लिया है।
बिना मिट्टी के पौधे उगाने वाले इस शहरी का नाम है मोहम्मद जावेद। जावेद बिहार की राजधानी पटना के कंकड़बाग कॉलोनी के निवासी हैं। वह कई वर्षों से बिना मिट्टी के पौधों को उगाने का सफल काम कर रहे हैं।

इसके लिए जावेद अपने घर को ही गार्डन बना चुके हैं। वह हाइड्रोपोनिक विधि से पौधे उगा रहे हैं। आपको बता दें कि हाइड्रोपोनिक को हिंदी में जलकृषि भी कहते हैं। इस विधि से बिना मिट्टी के पौधा बढ़ता है। पानी में घुले खनिज और पोषक तत्वों से पौधों का विकास होता है।
हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के लिए छोड़ दी नौकरी
जावेद ने बताया कि 30 साल पहले वह पटना स्थित श्री कृष्ण विज्ञान केंद्र में एजुकेटर के तौर पर कार्यरत थे। वह बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक्स में रुचि के कारण उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी। इसके बाद वह इस विधि के विकास पर काम करने लगे।
नौकरी छोड़ने के बाद जावेद ने बायोफोर्ट एम विकसित कर ली। एक मिलीलीटर बायोफोर्ट एम को एक लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार किया जाता है। घोल से 30 से 40 सेंटीमीटर तक लंबे पौधे को 1 साल तक पोषण मिलता रहता है।

जावेद ने हाइड्रोपोनिक तकनीक को नया आयाम देने के लिए खुद से ही खास जैविक खाद भी बनाया। यह जैविक खाद कंकड़, पत्थर के छोटे टुकड़े, रेत आदि से तैयार किया गया। जावेद गमलों, बोतलों और बेकार सामानों को उपयोग में लाकर उनमें पौधे उगाते हैं।
30 साल से इस क्षेत्र में कर रहे काम
जावेद बताते हैं कि वह साल 1992 से हाइड्रोपोनिक फार्मिंग कर रहे हैं. घर को सजाने वाले तमाम पौघे वह उगाते हैं। यही नहीं साग-सब्जी की भी खेती इस विधि से करते हैं।
इस तकनीक को बढ़ावा देने के लिए वह कई बार विदेश जा चुके हैं। जावेद ने बताया कि वह अब तक गेंदा, गुलाब और अन्य तरह के 250 से ज्यादा पौधों को बिना मिट्टी के उगा चुके हैं।
अगर आपके पास जगह की कमी है तो इस विधि से बॉटल गार्डन, ट्यूब गार्डन, रूम गार्डन, टेबल गार्डन, वॉल गार्डन, विंडो गार्डन, बालकनी गार्डन और हैगिंग गार्डन विकसित कर सकते हैं।
जावेद ने बताया कि इस तरह की विधि से पौघे उगाने से वातावरण में भी शुद्धता बरकरार रहती है। जावेद चाहते हैं कि सरकार इसे बढ़ावा दे जिससे लोग कम जगहों में अच्छी खेती कर सकें।

