बिहार में घर का कचरा लोगों को दे रहा रोजगार, जाने कैसे 50 लोगों को मिल रही 10 हजार तक की सैलरी
बिहार के शेखपुरा में हर घर से रोजाना उठाए जा रहे कचरे से जैविक खाद तैयार किया जा रहा है। खास बात यह है कि यह खाद बेचा भी जा रहा है। नगर परिषद की इस तरकीब ने 50 लोगों को रोजगार दिया है।
कचरा बर्बाद करने के बजाय बर्मी कंपोस्ट खाद यानी जैविक खाद तैयार होने की खबर ने तो पहले सबको हैरान कर दिया। जब लोगों को रोजगार मिलना शुरू हुआ तो पूरे बिहार में इस मॉडल की चर्चा हो रही है।
जैविक खाद की बिक्री 5 रुपए प्रति किलो

कोई भी व्यक्ति इस जैविक खाद का उपयोग अपने फसलों, सब्जियों और फूल की खेती में उपयोग करते है। इस प्लांट से उत्पादित होने वाले जैविक खाद की बिक्री 5 रुपए प्रति किलो तय की गई है। पिछले 6 माह से इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया है। अब तक इस प्लांट से उत्पादित खाद की 5 हजार रूपए तक की बिक्री हुई है।
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रभात रंजन ने बताया कि सफाई मजदूर नगर के सभी वार्डों के हर घर में जा कर सूखा और गीला कचड़ा को उठाकर हर तीन वार्ड पर एक जगह लेकर ठेला के माध्यम से पहुंचते हैं।
परिषद का विशेष वाहन कचरे को लेकर शहर के महादेव नगर मुहल्ले में स्थापित कचरा प्रबंधन के तहत स्थापित चर्मी कंपोस्ट खाद प्लांट तक पहुंचाया जाता है।
कैस तैयार होता है जैविक खाद?

प्लांट पर शहर के विभिन्न मुहल्ले से लाए गए कचरे को वहां तैनात 20 से 25 की संख्या में मजदूर गीले कचरे का अलग छांट कर प्लांट पर स्थापित लगभग दो दर्जन की संख्या में स्थापित हौज में डाल देते है।
वहीं सूखे कचरे को इससे अलग रखा जाता है। हौज में डाले गए कचरे 30 से 45 दिनों बाद वर्मी कंपोस्ट खाद बनकर तैयार हो जाता है। फिर उसे हौज से निकाल कर प्लास्टिक बैग में 5 से 10 किलो का पैकेट बनाकर आम लोगों के बीच बिक्री किया जाता है।
10 हजार प्रति माह तक हो रही कमाई
जानकारी के अनुसार जैविक खाद उत्पादन के प्लांट की देखरेख का जिम्मा एक एनजीओ को दे दिया गया है। इस प्लांट में काम करने वाले दैनिक मजदूरों को प्रति माह 7200 से 10 हजार रूपए तक का मजदूरी दिया जाता है।
नगर परिषद द्वारा इस निर्माण कार्य में प्रति माह 2 लाख रुपए की राशि खर्च की जा रही। अभी यहां से उत्पादित खाद का प्रचार प्रसार कम होने के कारण बिक्री कम हो रही है।
उन्होंने कहा कि जिले के जागरूक किसान या बेरोजगार लोग भी कचरा प्रबंधन के तहत आकर इसका प्रशिक्षण ले सकते है। जिससे वे भी कम लागत में प्लांट स्थापित कर रोजगार कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ कर सकें।

