स्वामी दयानंद सरस्वती ने कहा था “वेदों की ओर लौटो “
आज तक हमने अनेक बार भारत की प्राचीन गुरुकुल शिक्षा पद्धति के बारे में सुना है और गुरुकुल शब्द सुनते ही हमारे दिमाग में यह छवि बन जाती है कि गुरु के घर जाकर शिक्षा लेना।
जहां आज के समय में गुरु और गुरुकुल परंपरा खत्म होते जा रही है वही हम आपको गया के एक ऐसे गुरुकुल के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पिछले 48 सालों से निशुल्क शिक्षा दी जा रही है और जहां बच्चों को हमारे प्राचीन धर्म ग्रंथ वेद ज्योतिष की शिक्षा दी जाती है।
गया का अनोखा गुरुकुल
जैसा कि हम जानते हैं कि भगवान राम और कृष्णा ने भी गुरुकुल जाकर ही शिक्षा प्राप्त की थी। आज जहां हर तरफ अंग्रेजी माध्यम और वेस्टर्न कल्चर का क्रेज बढ़ता जा रहा है वही गया में एक ऐसा गुरुकुल है जहां बच्चों को हमारे वैदिक परंपरा वेद धर्मशास्त्र ज्योतिष और कर्मकांड पढ़ाया जाता।
यह गुरुकुल पिछले 48 सालों से गया शहर के विष्णुपद वेदी के रामाचार्य वैदिक पाठशाला में चलाया जा रहा है और यहां बच्चों को निशुल्क सनातनी शिक्षा दी जाती है। यहां शिक्षा ग्रहण करने में ना किसी की जाति का बंधन है और ना ही उम्र की सीमा। पिछले 48 सालों से यहां रोजाना सुबह 3 घंटे और शाम 3 घंटे वैदिक सनातन संस्कृति की शिक्षा दी जाती है।
6 हजार से अधिक विद्यार्थी ले चुके शिक्षा
आपको बता दे की गया में चल रहे इस स्कूल से लगभग 6000 छात्रों ने अपनी शिक्षा पूरी कर ली है और बिहार के अलग-अलग क्षेत्र में ज्योतिष कर्मकांड पंडित पूजा पाठ पुराण और वेदों का प्रचार प्रसाद कर रहे हैं।
बता दे की गया क्षेत्र में गुरु पंडित रामाचार्य स्वामी महाराज ने इस गुरुकुल की स्थापना की थी और अब उनके ही वंशज पंडित राजा आचार्य द्वारा इस चलाया जा रहा है यहां धर्मशास्त्र वेद पुराण और ज्योतिष सहित कर्मकांड और वस्तु का अध्ययन करने दूर-दूर से लोग आते हैं।
यहां पर धर्मशास्त्र और ज्योतिष और कर्मकांड के कई कोर्स भी चलाए जा रहे हैं वेदों के लिए 5 वर्ष का और कर्मकांड के लिए 3 वर्ष का तथा ज्योतिष की शिक्षा प्राप्त करने के लिए 2 वर्षों का पाठ्यक्रम है।
सनातनी शिक्षा का कर रहे प्रसार
सनातनी शिक्षा के प्रचार और प्रसार के लिए गया का यह गुरुकुल प्रतिबद्ध है और खास बात यह है कि यहां विद्यार्थियों से किसी भी प्रकार का कोई शुल्क नहीं लिया जाता है और यहां से शिक्षा प्राप्त कर विद्यार्थी विदेश में भी वैदिक संस्कृति को बढ़ावा दे रहे हैं।
बता दे की गुरुकुल के पंडित राजा आचार्य कहते हैं कि धर्म संस्कृति और वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए उनके पिता के द्वारा यह गुरुकुल स्थापित की गई थी और इसमें शिक्षा प्राप्त करने वालों के जात-पात, मजहब और उम्र शिक्षा प्राप्त करने में बाधा उत्पन्न नहीं कर सकता।
6 से 70 वर्ष के लोगकर रहे सनातनी शिक्षा ग्रहण
बताते चले कि इस गुरुकुल में देश के किसी भी क्षेत्र से 6 से लेकर 70 वर्ष के लोग वैदिक शिक्षा और सनातनी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आ सकते हैं और यहां शिक्षा प्राप्त कर रहे बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ प्रैक्टिकल करने के लिए अलग-अलग मंदिरो में पूजा पाठ आदि के लिए भी ले जाया जाता है और वैदिक शिक्षा और सनातनी शिक्षा में गहन अध्ययन और स्पेशलाइज्ड कोर्स के लिए बच्चों को दक्षिण भारत स्थित गुरुकुल भी भेजा जाता है।
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