बिहार में पहली ई-एम्बुलेंस बनाने वाले 3 दोस्तों की कहानी, 15 लाख इन्वेस्ट कर 3 करोड़ का टर्नओवर, बदलते बिहार की तस्वीरें

first e automobile company of bihar Pythox Motors

ये कहानी 3 इंजीनियर दोस्तों की है, जिन्होंने बिहार में ऑटोमोबाइल का बड़ा एम्पायर खड़ा किया है। तीनों ने मिलकर बिहार की पहली ई ऑटोमोबाइल कंपनी बनाने का भी रिकॉर्ड बनाया है।

खुद की कमाई और फाइनेंस से जुटाए 15 लाख रुपए से शुरू हुई कंपनी आज 3 करोड़ के पार पहुंच गई है। पढ़िए राजस्थान और बिहार के 3 दोस्तों के आंत्रप्रेन्योर बनने की कहानी..।

Story of 3 friends who built the first e-ambulance in Bihar
बिहार में पहली ई-एंबुलेंस बनाने वाले 3 दोस्तों की कहानी

पढ़ाई के दौरान हुई दोस्ती

बेगूसराय के आलोक रंजन और राजगीर के कुणाल सिंह का एडमिशन राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी में हुआ। दोनों की दोस्ती राजस्थान के उदयपुर के रहने वाले भरत पालीवाल से हुई।

ऑटोमोबाइल ब्रांच से बीटेक कर रहे तीनों स्टूडेंट्स की आपस में गहरी दोस्ती हो गई। पढ़ाई के दौरान ही तीनों ने मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी का सपना देखा था। जब 2015 में बी टेक की पढ़ाई पूरी होते ही नौकरी का सपना पूरा हो गया।

Alok Ranjan, Kunal Singh and Bharat Paliwal lay the foundation stone of Pythox Motors in Bihar
आलोक रंजन, कुणाल सिंह और भरत पालीवाल ने बिहार में पाइथॉक्स मोटर्स की नींव रखी

भरत पालीवाल को टीवीएस ऑटो मोबाइल कंपनी ने उदयपुर में मार्केटिंग एंड सेल्स में सीनियर एग्जक्यूटिव की जिम्मेदारी दी, वहीं आलोक रंजन को दिल्ली में हीरो मोटर में क्वालिटी इंजीनियर की नौकरी मिल गई।

कुणाल भी ऑटोमोबाइल का पार्ट्स बनाने वाली कंपनी JPM में नौकरी मिल गई। तीनों दोस्तों को इन बड़ी कंपनियों में बड़ा पैकेज मिला, लेकिन वह खुश नहीं थे। वह कुछ अलग करना चाहते थे। कुछ न कुछ प्लान बनाते रहते थे।

प्लान बना और एक-एक कर छोड़ दी नौकरी

नौकरी का सपना था, लेकिन तीनों दोस्त मनचाही नौकरी के बाद भी खुश नहीं था। जॉब के साथ साथ तीनों प्लान बनाते रहे। बेगूसराय के रहने वाले आलोक रंजन ने खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी बनाने का प्लान किया।

इस पर जज्बा तो कुणाल और भरत ने भी दिखाया लेकिन बाधा खुद की कंपनी शुरू करने में पैसे को लेकर थी। तीनों दोस्तों ने काफी प्लानिंग से काम किया। आलोक ने एक साल में नौकरी छोड़ दी और बिहार का आकर खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी के लिए तैयारी में जुट गए।

E-rickshaw being prepared in the factory
फैक्ट्री में तैयार होता ई-रिक्शा

भरत और कुणाल नौकरी करते रहे, दोनों आलोक की मदद करते रहे। फाइनेंस के लिए 6 माह से अधिक का समय लग गया। तीनों दोस्तों को 15 लाख रुपए की व्यवस्था करने और कागजी काम में लगभग एक साल का समय लग गया।

तीन साल पहले तीनों का सपना पूरा हुआ और बिहार में पाइथॉक्स मोटर्स की नींव रखी। आलोक की प्लानिंग पूरी होते ही कुणाल और भरत भी नौकरी छोड़कर बिहार आ गए।

कंपनियों में काम करने वाले खुद बन गए मालिक

ऑटोमोबाइल कंपनियों में काम करने वाले तीनों दोस्त खुद की ऑटोमोबाइल कंपनी के मालिक बन गए। तीनों ने कंपनी की सफलता के लिए अपना काम बांट लिया। भरत पालीवाल और आलोक के साथ कुणाल भी फाउंडर हैं।

तीनों दोस्तों ने काम को आसान बना दिया है। भरत और कुणाल जहां मार्केटिंग का काम देखते हैं, वहीं आलोक कंपनी की पूरी जिम्मेदारी संभालते हैं।

तीनों दोस्तों का आपसी सामंजस्य ऐसा है कि कभी काम को लेकर कोई समस्या नहीं आती है। भरत पालीवाल बताते हैं कि तीनों दोस्त पूरी ईमानदारी से काम करते हैं।

राजस्थान से बिहार आना बड़ी चुनौती

भरत पालीवाल का कहना है कि राजस्थान से बिहार आकर काम करना बड़ी चुनौती थी। वह बिहार को फिल्मों में देखे थे। दोस्तों पर काफी भरोसा था और उनके अंदर यह जज्बा रहा कि ईमानदारी से काम कर नई पहचान बनाएंगे। बिहार आने के बाद भरत को लगा कि यहां काम करने की बहुत संभावना है।

तीनों ने मिलकर प्लान किया और यहां की डिमांड को देखते हुए ई रिक्शा को लेकर कई तरह की प्लानिंग की। भरत का कहना है कि आलोक और कुणाल ने भी साथ मिलकर दिन रात एक कर काम किया। इसका रिजल्ट भी अब दिखाई दे रहा है। कंपनी की शुरुआत 15 लाख से हुई थी, तीनों की मेहनत से साल दर साल राजस्व बढ़ता जा रहा है।

बिहार के हालात देख आया ई एंबुलेंस का आईडिया

भरत पालीवाल का कहना है कि बिहार के हालात को देख लगा कि यहां मरीजों के लिए ई एंबुलेंस बनाया जाना चाहिए। गांवों में संसाधन तो शहर में जाम की समस्या से ई एंबुलेंस का प्लान किया गया।

बिहार की पहली ई एंबुलेंस का मॉडल बिहार की समस्या को देखकर किया गया है। एंबुलेंस ऐसा तैयार किया गया कि किसी भी मार्ग पर आसानी से चली जाए और मरीजों के लिए पूरी तरह से इमरजेंसी की सभी व्यवस्था रहे।

The idea of e-ambulance came after seeing the situation in Bihar
बिहार के हालात देख आया ई एंबुलेंस का आईडिया

ऑक्सीजन से लेकर मरीज के अटेंडेंट्स के बैठने की पूरी प्लानिंग की गई। ई रिक्शा को भी अन्य कंपनियों से काफी अलग और सुविधाजनक बनाया गया है।

भरत का कहना है कि वह ई एंबुलेंस और ई रिक्शा की डिलीवरी यूपी और बिहार में एक हजार से अधिक कर चुके हैं। बिहार के साथ यूपी में भी कंपनी की तरफ से कई डीलर बनाए गए हैं।

एंबुलेंस की तरह ही ई एंबुलेंस में सुविधा

ई एंबुलेंस पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। इसमें मरीज के साथ तीन अटेंडेंट्स के बैठने की सीट दी गई है। स्ट्रेचर के लिए एक बड़ा प्लेटफार्म दिया गया है। यह पूरी तरह से स्लाइडिंग पर है। इससे मरीजों को ई एंबुलेंस में रखना और ले जाना काफी आसान है।

भरत बताते हैं कि बड़ी एंबुलेंस की तरह ई एंबुलेंस में भी ऑक्सीजन के साथ मेडिकल इमरजेंसी की सभी उपकरण के लिए भी अलग-अलग बॉक्स बनाए गए हैं।

यह बिहार की पहली ऐसी ई एंबुलेंस है जिसमें मरीजों को बिना किसी झटके के ही अस्पताल ले जाया जा सकेगा। घर से अस्पताल का रास्ता कैसा भी हो मरीज को ई एंबुलेंस से आसानी से पहुंचाया जा सकेगा।

Facility in e-ambulance just like an ambulance
एंबुलेंस की तरह ही ई एंबुलेंस में सुविधा

बिहार के ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी एंबुलेंस को लेकर बड़ी समस्या है, इस कारण से तीनों दोस्तों ने मिलकर बिहार का पहला ई एंबुलेंस बनाया है। भरत का कहना है कि उनकी कंपनी बिहार की पहली ई रिक्शा बनाने वाली कंपनी है, जो काफी कम पैसे में लोगों को रोजगार भी दे रही है।

बिहार के साथ यूपी में भी ई एंबुलेंस की डिमांड काफी बढ़ी है, क्योंकि यह मरीजों के लिए पूरी तरह से ईको फ्रेंडली होने के साथ कम खर्चीला और सुविधाजनक है। बड़ी एंबुलेंस जहां नहीं पहुंच पाती थी, वहां अब ई एंबुलेंस आसानी से पहुंच रही है।

देश का पहला ई मोबाइल फिश पार्लर बनाया

तीनों दोस्तों ने ई एंबुलेंस की तरह मोबाइल फिश पार्लर भी बनाया है। दावा किया जा रहा है कि यह देश का पहला मोबाइल फिश पार्लर है, भारत के मछली कारोबार को मॉडलाइज करने के लिए यह कांसेप्ट लाया गया।

इसमें लाइव फिश के साथ फ्रोजन फिश को भी इसमें बेचा जा सकता है। इस मोबाइल फिश पार्लर से दुकानदार 5 से 10 किलोमीटर के दायरे में आसानी से फिश को नए मॉडल में पूरी तरह से हाईजीन के साथ बेंच सकते हैं।

इसमें लाइव फिश टैंक बनाया गया है। इसके साथ फ्रोजन फिश टैंक भी बनाया गया है। इसके साथ ही फ्रेश वाटर टैंक भी बनाया गया है।

Along with Bihar, the demand for e-ambulance has also increased in UP.
बिहार के साथ यूपी में भी ई एंबुलेंस की डिमांड काफी बढ़ी है

इसमें अलग-अलग सेक्शन बनाया गया है। कटिंग सेक्शन से लेकर मछलियों के लिए हाईटेक वाशिंग सेक्शन भी बनाया गया है। वेस्ट कलेक्शन का बॉक्स भी अलग से बनाया गया है।

भरत बताते हैं कि बिहार के साथ भारत के फिश सेलिंग सिस्टम को मॉर्डनाइज करने के लिए (अटल इंक्यूबेशन सेंटर बिहार विद्यापीठ) AICBV के चेयरमैन विजय प्रकाश और चीफ ऑपरेशन ऑफिसर प्रमोद करन ने आइडिया दिया था।

इसपर काम कर कंपनी ने पूरी तरह मॉडर्न मोबाइल फिश पार्लर तैयार किया। इसकी डिमांड बिहार के साथ यूपी, आंध्रा, पश्चिम बंगाल, दक्षिण के राज्यों में है।