पहले MBA किया, फिर 60 हजार की नौकरी छोड़कर शुरू की इस सब्जी की खेती, मात्र 6 महीने में कमा लिए 5 लाख रूपये

Shikha Singare

भागलपुर शुरू से ही कतरनी धान व जर्दालु आम के उत्पादन के लिए मशहूर रहा है। लेकिन समय के साथ-साथ यहां के किसान पारंपरिक खेती को छोड़कर सब्जी की खेती कर रहे है। सब्जी की खेती करके किसान अपनी किस्मत आजमा रहे है, जिससे इसे फायदे का साधन बना सके।

यह कहानी है भागलपुर के नाथनगर प्रखंड के कजरैली के रहने वाले युवा किसान गुंजेश गुंजन की। गुंजेश अन्य किसानों के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने पारंपरिक खेती से हटकर सब्जी की खेती में अपनी किस्मत को आजमाया है। उन्होंने अपने खेत में कोकरी सब्जी उगाया जिससे वह प्रत्येक 6 महीने में 5 लाख रूपये की कमाई कर रहे हैं।

60 हजार प्रति महीने की नौकरी छोड़कर कर रहे है खेती

गुंजेश गुंजन ने इकोनॉमिक्स से एमबीए की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने मैनेजर के पद पर एक प्राइवेट कंपनी में काम किया। जहां उनकी लगभग 60 हजार रूपये प्रति महीना की तनख्वाह थी। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले गुंजेश का मन नौकरी में नही लगा। अचानक उनके मन में नौकरी छोड़कर खेती करने का विचार आया।

इस कारण वह नौकरी छोड़कर घर आ गए। शुरुआत में उन्होंने कुछ दिनों तक पारंपरिक खेती की। लेकिन उसमे ज्यादा मुनाफा नही मिलने के कारण उन्होंने सब्जी की खेती करना शुरू किया। वह सब्जियों में नेनुआ, खीरा, कद्दू व मिर्च की खेती करते है। साथ ही साथ अब उन्होंने ऐसी सब्जी उगाना शुरू किया जो बिहार में करना मुश्किल है। और इस सब्जी उत्पादन में वह सफल हुए।

झारखंड में उगने वाली कोकड़ी की भागलपुर में खेती शुरू की

कोकड़ी की खेती प्रायः झारखंड में होती है। गुंजेश ने बताया कि कोकड़ी पहाड़ी क्षेत्र की फसल है। यह समतल क्षेत्र की खेती नहीं है। लेकिन हमने रिस्क लेकर इसे अपने खेत में उगाया है जिसमे अच्छी उपज भी मिली है।

उन्होंने बताया कि यदि सब खर्च को निकाल दिया जाए तो प्रति एकड़ में 4 से 5 लाख रूपये की बचत होगी। गुंजेश बताते है की कोकड़ी की बाजार में कीमत 200 रूपये प्रति किलो है।

प्रत्येक तुड़ाई में कोकड़ी का एक एकड़ में 3 क्विंटल तक उत्पादन मिलता है। प्रत्येक दो दिन के अंतराल में इसकी तुड़ाई की जाती है। मात्र 6 माह की इस फसल से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।

पारंपरिक खेती के साथ-साथ आधुनिक खेती से मिलेगा ज्यादा मुनाफा

किसान परंपरागत खेती करते आ रहे है, जिससे खेती का व्यवसाय निरंतर घाटे में जा रहा है। किसान आधुनिक खेती करने का रिस्क नहीं लेना चाहते है, लेकिन जो किसान पारंपरिक खेती से हटकर खेती करने की रिस्क लेते है वह सफल भी होते है।

खेती को फायदे का सौदा बनाना है तो आधुनिक खेती करना होगा तभी खेती से आमदनी बढ़ाई जा सकती है। जो किसान रिस्क लेकर नई फसलों की खेती करते है वो अच्छा मुनाफा कमा लेते है।

किसान गुंजेश बताते है कि ऐसी ही रिस्क हमने लिया और कोकड़ी की फसल लगाया। यदि कोई किसान भाई खेती करने के लिए इस फसल की जानकारी लेना चाहता है तो हमसे संपर्क कर सकते हैं।

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