बिहार में इन दोनों आलू के एक नई किस्म की खेती बहुत जोरों से की जा रही है यहां के स्थानीय लोग इसे काला सोना कहने लगे हैं। आई आपको बताते हैं कि अमेरिका में मिलने वाले ब्लैक पोटैटो (Black potato)को कैसे बिहार के किसान अपने खेतों में आकार मालामाल हो रहे हैं। गया जिले में की जा रही काले आलू की खेती (Black Potato Farming) इस वक्त बहुत ज्यादा ही चर्चा में है।
शुरू हुई काले सोने की खेती
बिहार के गया जिले के टिकारी प्रखंड के गुलरियाचक गांव के रहने वाले आशीष कुमार सिंह काले आलू की खेती(Black Potato Farming) कर रहे हैं। और इसी काले सोने की खेती के कारण उनकी आमदनी बोहोत ज्यादा बढ़ गई है, यही कारण है कि वह पूरे जिले ही नहीं बल्कि पूरे बिहार में प्रसिद्ध हो रहे हैं।
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आशीष कुमार ने बताया कि कैसे उन्होंने गत वर्ष 14 किलो बीज से 120 किलो आलू का उत्पादन किया था और जिससे उन्होंने काफी पैसे कमाए थे। चलिए आपको बताते हैं कि कैसे उन्होंने अमेरिका की ब्लैक पोटैटो की खेती गया में शुरू की और अच्छे खासे पैसे कमाए-
काले आलू की खेती से हो रही मोटी कमाई
किसान आशीष कुमार ने बताया कि कैसे यूट्यूब से ब्लैक पोटैटो की पौष्टिकता और उसके फायदे के बारे में जानने के बाद, उन्हें इसकी खेती करने का आईडिया आया। और इसके बाद अमेरिका से उन्होंने 14 किलो ब्लैक पोटैटो के बीज को मंगवाया और उसकी खेती शुरू की, हालांकि शुरुआत में उन्हें भी नहीं पता था कि उनकी खेती इतनी सफल होगी और उन्हें इस तरीके का मुनाफा मिलेगा।
उन्होंने बताया कि पिछले साल ब्लैक पोटैटो की खेती काफी बेहतर हुई थी और उन्हें काफी मोटी कमाई भी हुई थी। वे अब इसकी खेती को बढ़ाना चाहते हैं ।आशीष ने बताया कि अब तक वह अपने खेतों में 30 किलो बीज लगा चुके हैं और कई किसान भाइयों के डिमांड पर उन्होंने इस बीज को बाहर से मंगवाकर किसानों को दिया भी है।आपको बता दे की इस वक़्त ब्लैक पोटैटो के बीज की कीमत बाजार में 300 से ₹500 किलो है।
ब्लैक पोटैटो में दरअसल औषधीय गुण पाए जाते हैं और इसी कारण मार्केट में इसकी डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ गई है बिहार के साथ ही दूसरे राज्यों में भी इस फसल की खेती किसान भाइयों ने शुरू कर दी है।
आशीष कुमार ने बताया कि कई अन्य राज्यों से भी किसानों ने उनसे संपर्क किया है और उन्होंने अमेरिका से इस बीच को ₹1500 प्रति किलो के खर्चे पर मंगवाया था। बता दे कि आशीष ने तकरीबन एक कट्ठा जमीन पर फसल की खेती की थी और अब इसे बढ़ाकर में चार कट्टे जमीन पर इस साल इसकी खेती करेंगे।

डायबिटीज के मरीजों के लिए ब्रह्मास्त्र
इसके औषधीय गुण को देखते हुए यह भी कहा गया है कि यह डायबिटीज के मरीजों के लिए एक रामबाण फसल साबित हो सकती है बता दे कि ब्लैक पोटैटो में ग्लिसमिक इंडेक्स द्वारा आलू की माप की जाती है जो जीरो से 100 तक होती है।
अगर आलू में ये 70 से अधिक होता है तो उसे हाई क्वालिटी का माना जाता है बता दे की पीले आलू का जी आई 81 और सफेद आलू का जी आई 93 होता है अगर ब्लैक पोटैटो की तुलना की जाए तो ब्लैक पोटैटो में 77 की पाया जाता है।
और बहुत से रिसर्च ने यह साबित किया है कि काले, बैगनी आलू विशेष रूप से एंथोसायनिन नामक पॉलीफेनोल एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है और इसी कारण यह कैंसर और डायबिटीज के मरीजों के लिए बहुत फायदेमंद है।
इसके अलावा इस आलू के उपयोग से फेफड़े, लीवर से जुड़े अन्य बीमारियों में भी काफी फायदा मिलता है फिलहाल भारत में काले आलू की खेती बहुत कम होती है लेकिन भविष्य में इसकी खेती से काफी लाभ मिल सकता है।
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