इन्होंने शुरू की बिहार की पहली काजू प्रोसेसिंग यूनिट, लाखों की कमाई कर लोगों को दे रहे हैं रोजगार

Cashew processing unit for the first time in Bihar

बिहार राज्य की 45 प्रतिशत जनसंख्या युवाओ की है। युवा चाह ले तो बिहार की आर्थिक दशा और दिशा बदल सकता है। ऐसे ही एक युवा ने राज्य में पहला काजू प्रोसेसिंग यूनिट खोलकर रोजगार का नया द्वार सुजित कर दिया है।

Cashew processing unit for the first time in Bihar
मधुबनी जिले के अभिषेक ने लगाया बिहार में पहली बार काजू प्रोसेसिंग यूनिट

मधुबनी के बेनीपट्टी के बाजितपुर गांव के रहने वाले अभिषेक कुमार ने इंजीनियारंग की नौकरी छोड़कर पहला काजू प्रौसेसिंग युनिट खोला है। दो साल पहले खुद की जॉब बचाने के लिए. परेशान अभिषेक आज सीधे तौर पर 23 लोगों को जॉब देने के साथ 50 महिला और पुरुष को जॉब दे रहे हैं।

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5 महीने में 5 रुपए की आमदनी

 

अभिषेक ने बेटे पूरा कर मुंबई के एक कंपनी में 10 साल तक काम किया लकिन उस कंपनी में उनका मन नहीं भरा इन्होने कुछ अलग करने की ठानी और अपने गांव लौट आये

लॉकडाउन ने अभिषेक को हिला डाला

दो साल पहले कोरोना की वजह से देश में लोग डाला के समय गांव में पलायन ने उन्हें झकझोर दिया लॉकडाउन टुटा भी नहीं था  युवकों ट्रको पर सवार होकर गुजरात दिल्ली चेन्नई जैसे राज्यों का पलायन करने लगे

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मधुबनी जिले के अभिषेक

अभिषेक वर्क फ्रॉम होम में थे। उन्होंने मुम्बई में काजू का ट्रेडिंग कंपनी में काम कर चुके थे। काजू बेचने का अनुभव था, लैंकिन दिक्कत यह था कि बिहार में काजू की खेती नहीं होती थी। वह मुम्बई, मध्यप्रदेश से कच्चा माल मंगवाते हैं |

गांव में ला दी रोजगार  

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लॉकडाउन ने अभिषेक को हिला डाला

अच्छे से काजू की प्रोसेसिंग कर बेहद अच्छी कीमत पर बेचते हैं। अभिषेक ने गांव में रोजगार पैदा कर दी है जिससे कई लोगों को रोजगार मिल पा रहा है और जो लोग इस पहल में जुड़े हैं उन्हें पैसों की दिक्कत नहीं होती है|

पांच महीने में पांच लाख रुपए की आमदनी

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मुम्बई में काजू का ट्रेडिंग कंपनी में काम कर चुके

काजू प्रोसेसिंग युनिट बनाने के लिए अभिषेक ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत 25 लाख रुपए का लोन लिया है। बाकी 20 लाख रुपए जमीन बेचकर लगा दिया। इसके बदौलत पांच महीने में पांच लाख रुपए की आमदनी कमा चुके हैं।

अभिषेक बताते हैं कि बाहर से काजू मंगवाने पर बिजनेसमैन को एक हजार रुपए किलों मिलता है। बिहार में प्रोसेसिंग होने से 800 रुपए किलो दे रहे हैं।

गांव के लोग देते थे ताना

अभिषेक बताते हैं जब वह इंजीनियरिंग करके अपने गांव लौटे तो आसपास गांव के लोग और पड़ोसी उनको हमेशा बोलते थे कि क्या फायदा पढ़ाई करके लेकिन आज अभिषेक के इस सफलता ने सबको जवाब दिया है|

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यही है मशीन

अभिषेक क्षेत्र यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट किया है बीटेक करने के बाद जॉब मुंबई में लग गई लेकिन इसे अभिषेक का मन नहीं भरा और इन्होने ने कुछ अलग करने की ठानी और लोगों को करके दिखा दिया