बिहार के युवक 40 हजार की नौकरी छोड़ अपनाई खेती,मिली कामयाबी अब महीना के लाखों कमा रहे हैं
बचपन के शौक में सागर के अंकित कुमार जैन ने अच्छी खासी नौकरी छोड़कर किसानी शुरू कर दी है जिससे उन्हें अब लाखों रुपए का मुनाफा हो रहा है|
2016 में किया शुरुआत
डबल m.a. और पूरी करने के बाद जोधपुर में एक कंपनी में नौकरी करने लगे थे वहां पर ₹40000 महीना तनखा भी मिलती थी घर के सभी लोग कुछ नया करना चाहते थे 2015 में नौकरी छोड़कर घर वापस आ गए साल 2016 में उन्होंने शुरुआत की

इसके अगले साल अंकित ने बेंगलुरु से 350 पौधे लाकर नए प्रयोग की शुरुआत की. इसमें 270 दशहरी आम थे, लेकिन वो सब नष्ट हो गए. इसके बावजूद अंकित ने हार नहीं मानी और उन्होंने इसको लेकर रिसर्च किया कि आखिर नुकसान की वजह क्या है सवाल सबके जहन में बना हुआ है|
40 हजार की नौकरी छोड़ी
उच्च शिक्षित युवा को सफल किसान की श्रेणी में ला खड़ा किया है. युवा अंकित कुमार जैन अच्छी खासी नौकरी छोड़कर अब किसानी करते हैं. उनके लगाये एप्पल बेर की डिमांड दूर-दूर तक है जिससे उन्हें लाखों रुपये का मुनाफा हो रहा है|

इस दौरान, अंकित तीर्थ दर्शन के लिए शिखर जी गए और वहां कोलकाता की फल मंडी में एप्पल बेर का एक पौधा लेकर आए. इसे उन्होंने मदर प्लांट की तरह तैयार किया.
एप्पल बेर के नए पौधे तैयार
आम तौर पर खेतों की मेड़ पर उगने वाली झरबेरी को किसान खर-पतवार समझते हैं. अंकित ने उन्हीं झरबेरियों के पौधों में ग्राफ्टिंग कर एप्पल बेर के नए पौधे तैयार किए. पांच एकड़ खेत की मेड़ पर अंकित ने एप्पल बेर के पौधे तैयार किये.

इसमें एक पौधे से सीजन में 70 किलो बेर का उत्पादन होता है. एक बेर का वजन 70 ग्राम से लेकर 120 ग्राम तक होता है. अंकित अपनी खेत की मेड़ों पर अब तक पिचासी एप्पल बेर के पौधे तैयार कर चुके हैं जिनसे उनको एक लाख रुपये तक का मुनाफा हो रहा है.
अन्य किसान अंकित से लेते हैं सलाह
मालथौन तहसील के रजवास गांव में अंकित ने यह नवाचार किया है. आस-पास के गांवों के किसान अब अंकित के पास सलाह लेने के लिए जाते हैं और ग्राफ्टिंग करना सीख रहे हैं|

अंकित परंपरागत खेती में जैविक को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं. साथ ही वो मुनगा सीताफल सागौन के भी पौधे तैयार कर रहे हैं. अंकित बताते हैं कि वो अभी एप्पल बेर की सप्लाई के लिए सागर फल मंडी पर निर्भर हैं|

