Bihar Liquor Ban– बिहार में 1 अप्रैल, 2016 से नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्ण शराबबंदी कर रखी है और राज्य की सरकार इस बात को लेकर काफी गंभीर भी है। हर दिन शराब के अवैध धंधे में संलिप्त लोगों की गिरफ़्तारी होती है और हजारों लीटर शराब जब्त भी किया जाता है।
लगभग 8 साल से चल रहे इस शराबबंदी के दौरान सरकार ने नियमों में कई बदलाव भी किए है, इसी बीच विभाग ने एक और नियम जारी किया है जिसका असर बिहार में अवैध रूप से होने वाले शराब के व्यापार में संलिप्त वाहनों के मालिकों के लिए है।

दरअसल बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून में बड़ी संख्या में शराब की तस्करी या अन्य सामान के साथ छिपाकर शराब ढोने के मामले में वाहन पकड़े जाते हैं। ऐसी स्थिति में इन वाहनों के मालिकों पर सीधे एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई कर दी जाती है।
लेकिन अब इस प्रावधान में बदलाव किया गया है जिससे अब शराब के साथ पकड़े गए वाहन मालिकों की जांच और सत्यापन के बाद ही अभियुक्त बनाया जाएगा या एफआईआर में नाम डाला जाएगा।
शराबबंदी को लेकर बड़ा फैसला
नियम में संसोधन के बाद अब संबंधित अधिकारी के पास जब्त गाड़ी को छोड़ने का अधिकार होगा और जब्त गाड़ी के मालिक को अपनी गाड़ी की कीमत (बीमित मूल्य) का 10 प्रतिशत जमा करना होगा या न्यायिक प्राधिकरण के साथ उचित परामर्श के बाद वाहन मालिक से जुर्माने के तौर पर 5 लाख रुपये वसूली करने के बाद छोड़ सकते हैं।
आपको बता दे कि अब तक जब्त वाहन के मालिक को अदालत की अनुमति के बाद वाहन को छोड़ने के लिए बीमाकृत मूल्य का 50 प्रतिशत भुगतान करना होता था।
अब जिस गाड़ी में शराब पकड़ी जाएगी सीधे उस गाड़ी के मालिक पर केस दर्ज नहीं किया जाएगा नए फैसले के अनुसार पूरे मामले की समीक्षा की जाएगी और अगर गाड़ी मालिक भी शराब के धंधे में सम्मिलित पाया जाता है तभी उस पर केस दर्ज किया जाएगा।
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अधिकारी के द्वारा जारी किए गए निर्देश
दरअसल मद्य निषेध विभाग के अधिकारीयों ने कहा है कि शराब के साथ जो वाहन पकड़ा जाता है उसके मालिक को अभियुक्त बनाने में किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं की जाए।
युक्त आयोग कृष्णा पासवान ने सभी उपायुक्तों निर्देश जारी किया है कि जब शराब के साथ कोई वाहन पकड़ा जाता है तो उसकी पूरी छानबीन की जाए और जांच की जाए और जांच के बाद ही वाहन मालिक को आरोपी बनाने के संदर्भ में फैसला लिया जाए।
मध निषेध विभाग की हो जाती थी फजीहत
कई बार ऐसे मामले सामने आते हैं तो आनन-फानन में वाहन मालिक को अभियुक्त बना दिया जाता है और ऐसे में कई बार मध निषेध विभाग की फजीहत हो जाती है। ऐसे मामलों में उपायुक्त हैं वह अपने स्तर पर सतर्कता भर देंगे और इस तरह के मामले में जांच करने के बाद ही वाहन मालिक को इस बारे में अभियुक्त बनाया जाए।
अब निश्चित तौर पर यह फैसला वाहन मालिक को राहत देगा क्योंकि अगर छानबीन और जांच के बाद उनके संलिप्तता पाई जाएगी तभी उनके खिलाफ मध निषेध विभाग अपने थाने में एफ आई आर लिखेगा।
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