Farming: बिहार में परंपरागत खेती को छोड़कर नगदी फसल की खेती करने का डेरा लगातार बढ़ते जा रहा है| इसके पीछे के सबसे बड़ी वजह है परंपरागत खेती में अपेक्षा के अनुरूप मुनाफा नहीं होना है।
बाजारों में आभूषणों से भी महंगे बिकने वाले केसर की खेती विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर में की जाती है लेकिन अब धीरे-धीरे बिहार के किस भी केसर की खेती की और रुक कर रहे हैं। जानकारी के लिए आपको बता दे की बाजार में केसर की कीमत लगभग 3 लाख रुपये प्रति किलो है।
बिहार के गया जिला के किस आशीष कुमार सिंह ने इस साल 2023 में लगभग तीन किलो केसर के बीच अपने खेतों में ट्रायल के रूप में लगाया है। यह खेती गया जिला के टेकरी प्रखंड क्षेत्र के गुलरिया चक गांव में की जा रही है।
श्रीनगर से मंगवाया है बीच
गया के किस आशीष कुमार सिंह खेती के क्षेत्र में हमेशा अलग-अलग दाव-पेच आजमाते रहते हैं, आपको बता दे कि आशीष इससे पहले ब्लैक पोटैटो ,ब्लैक हल्दी ,नीला गेहूं, काला गेहूं, रेड राइस, ग्रीन राइस अंबे मोहर धान के सफल खेती कर चुके हैं।
आशीष के इस खेती के सफर में सिर्फ सोयाबीन का ट्रायल सफल नहीं हो सका था ,जिस कारण इन्हें सोयाबीन की खेती छोड़नी पड़ी थी और निराशा भी हाथ लगा था। आशीष ने मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि लेख में केसर की खेती के बारे में पड़ा और दूसरे राज्य में कई किसान इसका ट्रायल कर रहे थे।
इसी को देखते हुए आशीष के भी दिमाग में आइडिया आया और ट्रायल के तौर पर इन्होंने 300 बीच श्रीनगर से मंगवा कर अपने खेत में लगवाया है। जानकारी के लिए आपको बता दे की 300 बीच का वजन लगभग 1500 किलो हुआ है।
10 डिग्री तापमान में होती है खेती
आशीष ने बातचीत के दौरान बताया कि वह कश्मीर के किसानों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं। उनके अनुसार तीन से चार महीने में केसर की फसल तैयार हो जाती है और संभावित जनवरी-फरवरी महीने में इसमें फूल निकल जाएंगे।
फिलहाल केसर 2 महीना तक डिटेक्टिवेट रहेगा और ना पता निकलेगा और ना ही फूल, केसर की खेती में लगभग 10 डिग्री तापमान की जरूरत होती है,जो की दिसंबर और जनवरी का महीना में बिहार का तापमान सूटेबल होता है।
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