बेशर्मी में इस पौधे में पार कर दी है सारी हदें, जानिए फिर क्यों बना हर किसी का फेवरेट
Behaya Plant : प्रकृति ने हमें पेड़ पौधों के रूप में अपना आशीर्वाद दिया है। जिससे मानव का अस्तित्व बना हुआ है। प्रकृति के इस खजाने में आपको विभिन्न प्रकार के अदभुत पेड़-पौधे देखने को मिलते हैं जिनका रूप और इस्तेमाल कहीं ना कहीं मानव जाति को फायदा पहुंचा रहा है।
ऐसे ही कुछ पौधे के बारे में आज हम आपको इस लेख में जानकारी दे रहे हैं, जिसे आम भाषा में बेशर्म,बेहया और थेथर जैसे नाम से जाना जाता है।
यह पौधा आपको बड़ी ही आसानी से हर जगह देखने को मिल जाता है। जिसमें एक खूबसूरत गुलाबी रंग का फूल भी आता है। इस फूल की खूबसूरती की वजह से यह पौधा कई लोगों द्वारा अपने घरों में भी लगाया जाता है।
क्यों कहलाता है बेशर्म?
इस पौधे (Behaya Plant) को बेशर्म कहने की एक खास वजह है। आपको बता दे यह पौधा किसी भी मौसम में सूखता नहीं है। अगर आप इसकी दाल को तोड़कर कहीं भी मिट्टी में डाल देंगे, तो यह वहां फिर से उग जाता है। कोई भी मौसम या परिस्थिति पौधे को दोबारा उगाने से नहीं रोक सकती हैं।
ग्रामीण इलाकों में अक्सर यह आपको दिख जाएगा। जहां लोग इसे काटकर फेंक देते हैं उसी जगह दोबारा इस पौधे की बेल पनपने लगती है। ज्यादातर यह आपको तालाब जिलो या पानी वाले स्थानों के किनारे देखने को मिल जाएगा।
क्या हैं फायदे ?
बेहया का पौधा काफी तरह की बीमारियों में इस्तेमाल होता है। ग्रामीण इलाकों में ज्यादातर लोग इसे छोटी-मोटी चोट या दर्द को दूर करने में इस्तेमाल करते हैं। किन जानिए कैसे होता है बेहया के पौधे का प्रयोग-
- बेहया के पौधे का प्रयोग छोटे-मोटे घाव को भरने में मदद करता है। इसके अंदर एंटीबैक्टीरियल और एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं जिसकी वजह से किसी भी घाव में यह बहुत फायदा पहुंचता है। ग्रामीण इलाकों में आज भी कई लोग इसकी पत्तियों को पीसकर घाव पर लगाया जाता है।
- इसके इस अद्भुत पौधे को दर्द से राहत के लिए भी प्रयोग किया जाता है। आपको बता दें बेहया के पत्तों को गरम करके दर्द वाली जगह पर लगाने पर राहत मिलती है।
- सूजन की समस्या में भी इसका प्रयोग किया जाता है। इसके लिए जिस जगह पर सूजन हो गई हो वहां इसकी पत्तियों का लेप लगाया जाता है। इसके बाद कुछ घंटे में आराम मिल जाता है।
- बेहया का पौधा जहर के असर को कम करने में भी मददगार साबित होता है। बताया जाता है कि बिच्छू आदि के डंक मारने वाली जगह पर इसे लगाने से धीरे-धीरे जहर का असर कम होने लगता है।
- दांतों की समस्या में भी यह काफी कारगर होता है।
- इसके अलावा इस औषधि पौधे को खाद में मिलाकर भी प्रयोग किया जाता है जिससे जमीन की गुणवत्ता में सुधार होता है।
नोट : ऊपर बताए गए सभी रिमेडी मान्यताओं पर आधारित है। इनका प्रयोग करने से पहले एक बार चिकित्सक से सलाह जरूरी लें ।

