बिहार: स्कूलों में होगी भोजपुरी, मगही, अंगिका जैसी भाषाओं की पढ़ाई, बदलेगा पाठ्यक्रम
नई शिक्षा निति के आने के बाद अब सरकार स्कूली पाठ्यक्रम में बदलकर लेकर आ रही है जिसके लिए यारी चल रही है। नई निति का प्रभाव बिहार के लाखों बच्चों पर होगा जिसे बाद स्कूल के पाठ्यक्रम और किताबें भी बदल जाएगी। इस नई निति को ध्यान में रखते हुए पहली से 12वीं कक्षा तक के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया जाएगा साथ ही सिलेबस में क्षेत्रीय भाषाओं को भी उचित स्थान देने की संभावना है।
पाठ्यक्रम और किताबों में बदलाव
बता दे कि केंद्र सरकार शिक्षा व्यवस्था में बदलाव करते हुए नई शिक्षा निति को लागू करने का फैसला कर चुकी है, इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार शिक्षा विभाग स्कूलों के पाठ्यक्रम में अभूतपूर्व बदलाव करने की तैयारी में है। कक्षा 1 से लेकर 12 तक के पाठ्यक्रम को बदला जा रहा है जिसे साल 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
नई निति के मुताबिक होने वाले इस बदलाव के बाद किताबें भी पूरी तरह से बदल जाएंगी, नए सिलेबस का उद्देश्य पाठ्यक्रम में अन्य बदलावों के साथ क्षेत्रीय भाषाओं को पाठ्यक्रम में समुचित जगह देना है।
कई क्षेत्रीय भाषाओं को जगह
नई शिक्षा नीति की सबसे अच्छी बात यह है कि अब क्षेत्रीय भाषाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा. प्रारंभ में ही पांचवीं कक्षा तक मगही, भोजपुरी, अंगिका और वज्जिका भाषाओं की पढ़ाई शुरू हो सकेगी. वर्तमान में इन भाषाओं की अलग से पढ़ाई नहीं हो रही है, लेकिन वर्षों से इन भाषाओं की पढ़ाई की मांग उठती रही है. इसके बाद शिक्षा विभाग के विशेषज्ञों की राय पर इन चार नए भाषाओं को नए पाठ्यक्रम में जगह दिया जा रहा है।
काफी अलग होगा पाठ्यक्रम
शिक्षा विभाग वर्तमान में जिस पाठ्यक्रम पर काम कर रही है और कई मायने में काफी अलग होने वाला है, छात्र नए सिलेबस को अच्छी तरह समझ सकें और उनका ज्ञानवर्धन हो सके इसको लेकर रचनात्मक और अनुभवों को भी संज्ञान में लिया जा रहा है। नए पाठ्यक्रम को लेकर शिक्षकों, शोधार्थियों, छात्रों ओरशिक्षण संस्थानों से भी सुझाव लिया जायेगा। मालूम हो कि मौजूदा पाठ्यक्रम वर्ष 2005 के आधार पर संचालित हो रहा है।

