बिहार के MBA पास 3 दोस्तों ने शुरू किया केले का अनोखा बिजनेस, अच्छी कमाई के साथ लोगों को दे रहे रोजगार

आपने MBA चायवाला का नाम जरूर सुना होगा। अक्सर मैनेजमेंट की पढ़ाई करने के बाद बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में नौकरी करना कई लोगों का सपना होता है। कुछ इसी तरह का सपना संजोए हुए वैशाली जिले के रहने वाले तीन दोस्तों ने जयपुर के एक मैनेजमेंट कॉलेज में दाखिला लिया।

पढ़ाई पूरी करने के बाद इन तीनों दोस्तों को एक प्रतिष्ठित कंपनी में काम करने का मौका भी मिला, लेकिन गांव का प्यार इन तीनों दोस्तों को वापस खींच लाया। हम बात कर रहे हैं, वैशाली जिला के रामपुर नौसहन गांव के रहने वाले जगत कल्याण, नीतीश कुमार और सत्यम कुमार की।

Jagat Kalyan, Nitish Kumar and Satyam Kumar of Vaishali district are working to make fiber, vermicompost fertilizer using banana thum
केले के थम का उपयोग करके रेशा, वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का काम कर रहे हैं वैशाली जिला के जगत कल्याण, नीतीश कुमार और सत्यम कुमार

इन तीनों दोस्तों ने अपने ही गांव में ही खेती-किसानी से जुड़ा एक अच्छा व्यवसाय शुरू किया है। ये केले के थम का उपयोग करके रेशा, वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का काम कर रहे हैं। पिछले डेढ़ साल से इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं।

खुद का स्टार्टअप शुरू करने की सोच

मीडिया से बात करते हुए जगत कल्याण, सत्यम कुमार कहते हैं कि बचपन से ही गांव में रहकर कुछ करने की इच्छा थी। लेकिन समय के साथ पढ़ाई करने के लिए बड़े शहरों की ओर पलायन करना पड़ा।

मगर यह सोच हमेशा रहा कि गांव में अपना खुद का स्टार्टअप शुरू करना है। जगत कल्याण कहते हैं कि उन्होंने बीटेक की पढ़ाई पूरी की। उसके बाद अपने गांव के दो दोस्तों के साथ 2020 में एमबीए की पढ़ाई पूरी की।

Jagat Kalyan and Satyam Kumar of Vaishali district
वैशाली जिले के जगत कल्याण और सत्यम कुमार

उसके बाद करीब 6 महीना तक जगत और सत्यम ने करीब 34 हजार रुपये की सैलरी पर नौकरी की। लेकिन खुद का स्टार्टअप शुरू करने की चाह ने गांव आने के लिए मजबूर कर दिया।

तीनों दोस्तों ने एक साथ वैशाली जिले के केवीके से केला के थम से रेशा एवं खाद बनाने का प्रशिक्षण लिया, और केवीके की मदद से 2022 में केले के थम से रेशा,वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का व्यवसाय शुरू किया।

कम समय में अलग पहचान के साथ कर रहे कमाई

सत्यम कुमार कहते हैं कि अगर आज नौकरी कर रहे होते तो करीब 8 से 9 लाख रुपए का सालाना पैकेज होता। 9 से 4 की नौकरी तक ही जिंदगी सिमट कर रह जाती। लेकिन आज समाज में एक अलग पहचान बन रहा है, जो शायद नौकरी से संभव नहीं था।

वहीं जगत कल्याण कहते हैं कि एक केले के पेड़ से करीब 500 ग्राम तक रेशा बनता है। अलग-अलग क्वालिटी का रेशा 100 से 1000 रुपए प्रति किलो तक बिक जाता है।

Started the business of making fiber, vermicompost fertilizer from banana thum in Vaishali
वैशाली में केले के थम से रेशा,वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का व्यवसाय शुरू किया

पांच बनाना फाइबर एक्सट्रैक्शन (केला के थम से रेशा बनाने वाली) मशीन की मदद से हर रोज करीब 60 से 70 किलो रेशा तैयार किया जाता है। आज यहां का रेशा देश के अलग अलग राज्यों में भेजा जा रहा है।

वहीं अगर यहां रेशा से कपड़ा, धागा बनाने की फैक्ट्री लग जाए। तो किसानों को काफी फायदा हो सकता है। वहीं जगत कल्याण कहते हैं कि आज करीब 60 से 70 हजार रुपए की कमाई महीने का हो जाता है।

वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने की भी है यूनिट

आपको बता दे की ये लोग केला के थम से रेशा बनाने के साथ वर्मी कंपोस्ट खाद भी बनाते हैं। सत्यम कुमार कहते हैं कि केला के थम से रेशा बनाने के दौरान जो कचड़ा निकलता है। उससे वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाते हैं।

Along with making fiber from banana leaves, these people also make vermicompost fertilizer
केला के थम से रेशा बनाने के साथ वर्मी कंपोस्ट खाद भी बनाते हैं ये लोग

ये कहते हैं कि प्रति 30 किलो एक पैकेट 500 रुपए तक के भाव से बेचा जाता है। वहीं खाद बनाने के दौरान 70 प्रतिशत केला से निकलने वाला पलप एवं वेस्टेज और 30 प्रतिशत गोबर की मदद से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जाता है।

गांव में पैदा कर रहे हैं रोजगार

नीतीश कुमार, जगत कल्याण एवं सत्यम कुमार खुद आत्मनिर्भर बन रहे हैं। साथ ही आसपास के कई लोगों को रोजगार देकर उनके जीवन में भी बदलाव ला रहे हैं। वहीं करीब 15 लोगों को 8 से 10 हजार रुपए प्रति महीने की सैलरी पर रखा गया है।

About 15 people have been hired on a salary of 8 to 10 thousand rupees per month.
करीब 15 लोगों को 8 से 10 हजार रुपए प्रति महीने की सैलरी पर रखा गया है

यहां काम करने वाले कर्मचारी कहते हैं कि घर बैठे ही नौकरी मिल गई है। जानकारी के लिए बता दे की इतनी ही सैलरी की नौकरी के लिए कई लोग बड़े शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं।