शोर- शराबे से दूर तलाश कर रहे हैं एक सीक्रेट हॉलिडे डेस्टिनेशन , तो यह हिल स्टेशन है एक शानदार विकल्प
Askot Trip Plan: यात्रा करने का असली आनंद तो पहाड़ों में घूमने का होता है। पहाड़ की हवा की कुछ अलग ही बात होती है। जब भी बात पहाड़ की आती है तो हिमाचल के शिमला मनाली की ऊंची ऊंची बर्फ से ढकी पहाड़ों की तस्वीर सामने आ जाती है। लेकिन आज के समय में यह हिल स्टेशन पर्यटकों से ठसा-ठस भरे रहते हैं।
अक्सर इन पर्यटक स्थलों पर लोगों की ऐसी भीड़ होती है, लगता ही नहीं, कि आप शहर की भीड़भाड़ से इतनी दूर यात्रा करके पहुंचे हैं। इसलिए आज हम आपको प्रकृति की गोद में बसे एक ऐसे हिल स्टेशन के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। इसी वजह से यह स्थान भीड़भाड़ से दूर अपनी अनुपम अनछुए सौंदर्य भरा हुआ है।
हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड के कुमाऊँ रीजन में स्थित अस्कोट हिल स्टेशन की। यह हिल स्टेशन अपने आप में प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। इस छोटे से खूबसूरत हिल स्टेशन की यात्रा करके आप अपने आप को प्रकृति के करीब पाते हैं और केवल दो या तीन दिन की ट्रिप के बाद ही खुद को तरोताजा महसूस करते हैं।

क्यों है अस्कोट खास
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित अस्कोट हिल स्टेशन में किसी जमाने में अस्सी कोट यानि ’80 किले’ हुआ करते थे। जिसकी वजह से इस हिल स्टेशन का नाम अस्कोट पड़ गया। आज के समय में भी आप इन ऐतिहासिक किलों के अवशेष अस्कोट में देख सकते हैं।
अस्कोट को एक सीक्रेट पर्यटन डेस्टिनेशन माना जाता है। क्योंकि उत्तराखंड के मशहूर हिल स्टेशंस पर जाने वाले लोग अक्सर यहां की खूबसूरती की जानकारी न होने के कारण इस हिल स्टेशन पर नहीं पहुंच पाते हैं।
कम भीड़भाड़ और शांत वातावरण के कारण यहां की यात्रा आपके जीवन में एक अलग ही अनुभव जोड़ती है। जिससे प्रकृति के करीब एक क्वालिटी वेकेशन एंजॉय करते हैं।
अस्कोट के मुख्य पर्यटक स्थल
- अस्कोट एक ऑफबीट हिल स्टेशन है जहां आप प्रकृति के अद्भुत नजारों को निहार सकते हैं। यहां की यात्रा कर में सबसे पहले 80 ऐतिहासिक किलों के अवशेष को देखना तो जरूर बनता है।
- इसके बाद अस्कोट यात्रा में अस्कोट अभ्यारण को भी अपनी विजिटिंग लिस्ट में जरूर डालें। इस अभयारण्य की स्थापना 1986 में की गई थी। यहां पर आपको दुर्लभकस्तूरी मृग बहुत आसानी से देखने को मिल जाएंगे।
- इसके अलावा इस अभ्यारण में आपको तेंदुआ हिमालय काले भालू के अलावा अन्य कई दुर्लभ जीव जंतु देखने को मिलते हैं। समुद्र तल से 5412 फीट की दूरी पर स्थित ये अभयारण अस्कोट से 54 किलोमीटर दूर है ।

- अस्कोट यात्रा के दौरान मंत्रमुग्ध कर देने वाले वॉटरफॉल, झीलें और ग्रेट हिमालय का माउंटेन व्यू खूबसूरती कि आप तारीफ करते नहीं थकेंगे। यहां की नदियों के संगम के किनारे बैठकर प्राकृतिक सौंदर्य को निहारने का एक अलग ही आनंद है।
- अपनी यात्रा के दौरान अस्कोट का नारायण स्वामी आश्रम भी जा सकते हैं। यह आश्रम कैलाश मानसरोवर यात्रा करने वाले यात्रियों के लिए एक विश्राम स्थल के रूप में जाना जाता है। जहां आपको अतुलनीय आध्यात्मिक शांति का अनुभव प्राप्त होगा
- अगर आप दोस्तों के साथ इस यात्रा पर आए हैं तो ट्रैकिंग का मजा जरूर ले और यहां के खूबसूरत हरे भरे जंगलों , पहाड़ों और खूबसूरत घाटियों के नजारो का जरूर उठाएं । इसके अलावा अगर आप कैंपेनिंग के शौकीन हैं तो आप प्रकृति के इस जन्नत के बीच कैंपेनिंग का आनंद भी ले सकते हैं। जिसके साथ अपनी यात्रा को और भी शानदार बना सकते हैं।
उत्तराखंड कैसे स्वर्ग से सुंदर हिल स्टेशन की खूबसूरती देखकर थम जातीहैं सांसें के इस
कैसे पहुंचे अस्कोट
अस्कोट पहुंचने के लिए आप हवाई मार्ग द्वारा यहां के सबसे करीबी हवाई अड्डे पंतनगर पहुंच सकते हैं। यहां से अस्कोट तक की दूरी 350 किलोमीटर है। जहां टैक्सी या कैब बुक करके सड़क मार्ग द्वारा अस्कोट पहुंच सकते हैं।
अगर आप ट्रेन से यात्रा करना पसंद करते हैं तो यहां पहुंचने के लिए सबसे करीबी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। जहां से 280 किलोमीटर की दूरी टैक्सी कैब या पब्लिक ट्रांसपोर्ट द्वारा तय कर सकते हैं।
सड़क मार्ग द्वारा भी अस्कोट सभी बड़े शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां से पिथौरागढ़ लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

