Vande Bharat: वंदे भारत ट्रेनों में ब्रेक लगा कर लाखों की कमाई, रेलवे ने बचाई 22 लाख रुपए की बिजली

Earning lakhs by applying brakes in Vande Bharat trains

भारतीय रेलवे (Indian Railways) की कमाई का सबसे बड़ा जरिया मालगाड़ी है। यात्री टिकटों से रेलवे को कोई ख़ास आमदनी नहीं होती है। टिकट के अलावा रेलवे और भी कई सारी सेवाएं प्रदान करती है। जिसमें माल ढोना, प्लेटफ़ॉर्म पर लगने वाले विज्ञापन, स्टेशन पर दुकानों से किराया जैसे स्रोत शामिल हैं।

लेकिन इस बार रेलवे ने वंदे भारत ट्रेनों (Vande Bharat Train) में ब्रेक लगा कर लाखों की कमाई कर डाली है। पूर्वोत्तर रेलवे द्वारा इस बात की जानकारी साझा की गई है। आईये जानते है की रेलवे ने ये कमाल कैसे कर दिखाया है?

वंदे भारत ट्रेनों में ब्रेक लगा कर लाखों की कमाई

दरअसल वंदे भारत (Vande Bharat) सहित कुछ नई ट्रेनों में लगकर आ रहे विशेष किस्म (WAP-7) के इंजन में, जब ब्रेक लगाया जा रहा है तो इस दौरान ब्रेक लगाने में जो एनर्जी खर्च हो रही है, उससे इंजन में लगे तकनीक के सहारे स्टोर कर लिया जाता है।

स्टोर की गई यह काइनेटिक एनर्जी रेलवे के लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो रही है। अगर बात करे सिर्फ वंदे भारत ट्रेन की तो पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्यालय गोरखपुर से लखनऊ होते हुए प्रयागराज तक चलाई जाने वाली ट्रेन से लगभग 22 लाख 55600 रूपए की बिजली की बचत रेलवे ने पिछले वित्तीय वर्ष में की है।

वंदे भारत में तैयार हुई 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली

यह उसके कुल ऊर्जा खर्च का लगभग 16 फीसदी है। पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह ने कहा है कि – “ट्रेन के इंजन में लगे हेड ऑन जेनरेशन सिस्टम के साथ रीजेनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम से लगभग 3 लाख 47017 किलोवाट बिजली वंदे भारत में तैयार हुई है।”

उन्होंने आगे कहा कि – “रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से ट्रेन में ब्रेक लगाने पर खुद ब खुद बिजली तैयार होती है। ट्रेन में ब्रेक लगने के दौरान जितनी बिजली खर्च होती है, जैसे ही इंजन गति पकड़ता है उससे दोगुना बिजली फिर तैयार होने लगती है।”

सभी ट्रेनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम करेगा काम

उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में सभी ट्रेनों में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम (Regenerative Braking System) काम करेगा। रेलवे बोर्ड ने नए मॉडल वाले थ्री फेज के डब्ल्यूएपी-7 क्षमता वाले सभी इलेक्ट्रिक इंजन में रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगाने का दिशा निर्देश जारी किया है।

उन्होंने बताया कि नए इंजन में एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम लगने से पावरकार को भी बिजली मिलती रहेगी। इससे डीजल खर्च नहीं होगा और पर्यावरण को भी लाभ मिलेगा। न शोर होगा और न ही धुआं उठेगा।

उन्होंने कहा कि – “रेलवे में वर्ष 2030 तक जो नो कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य लेकर कार्य किया जा रहा है, उसी क्रम में हेड ऑन जेनरेशन और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम के माध्यम से उर्जा की बचत की जा रही है।”

धुलाई- सफाई के लिए जाते समय भी तैयार होगी बिजली

मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज सिंह ने बताया कि इसके अलावा वित्तीय वर्ष 2022-23 में लखनऊ, वाराणसी और इज्जत नगर मंडल के रूटों पर चलने वाली ट्रेनों में ब्रेक लगने से 45750 मेगावाट बिजली तैयार हो चुकी है।

यही नहीं, वाॅशिंग पिट में धुलाई- सफाई के लिए जाते समय भी बिजली तैयार होगी। पूर्वोत्तर रेलवे के 21 स्टेशनों के वाॅशिंग पिट लाइनों पर ओवरहेड इक्विपमेंट लगाए जाएंगे, जिसे ओएचई कहते हैं।

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भविष्य में और ऊर्जा की बचत

इसके लगते ही एचओजी और रीजनरेटिव ब्रेकिंग सिस्टम कार्य करने लगेगा। इसके लिए 750 वोल्ट बिजली की आपूर्ति प्रदान की जाएगी।

उन्होंने बताया कि रेलवे में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने के क्रम में एनर्जी एफिशिएंट रेल इंजनों से ट्रेनों को चलाए जाने का जो क्रम प्रारंभ हुआ है वह भविष्य में और ऊर्जा की बचत कराएगा।

हाल ही में आई एक रिपोर्ट के अनुसार वंदे भारत ट्रेनों के लॉन्चिंग पर हुए खर्च की जानकारी भी सामने आई है। जिसके अनुसार इस कार्य पर करोड़ो रूपए खर्च किए गए है।

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