सितंबर में इस दिन से शुरू हो रही है पितृ पक्ष, जानिए क्या है महत्त्व और इससे जुड़ी मान्यताएं

इस वर्ष 29 सितंबर से पितृ पक्ष की शुरुआत हो रही है, जो कि 14 अक्टूबर तक रहेगा। ऐसी मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पितर धरती पर आकर हमारे आसपास रहते है और हमें आशीर्वाद देते हैं। यह भी माना जाता है कि पितृपक्ष में पितर पशु-पक्षियों के माध्यम से हमारे निकट आते है और जीवों के माध्यम से पितर आहार ग्रहण करते हैं। इन जीवो मे गाय, कुत्ता, कौवा और चींटी है।

पुरातन मान्यता के अनुसार श्राद्ध के समय इन पशु-पक्षियों के लिए आहार का एक अंश निकालकर भोग लगाया जाता है। ऐसा करने पर ही श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है। पितृ श्राद्ध करते समय गाय, कुत्ता, चींटी, कौवा और देवताओं के लिए भोग निकला जाता है। इन पांच अंशों का अर्पण करने को पञ्चबलि कहा जाता है।

श्राद्ध के लिए निर्मित भोजन से निकाला जाता है थोड़ा-थोड़ा अंश

गया वैदिक मंत्रालय पाठशाला के पंडित राजा आचार्य बताते हैं कि श्राद्ध कर्म करते समय भोग के लिए बनाए भोजन में से पांच जगह पर अलग-अलग भोजन का थोड़ा-थोड़ा अंश निकाला जाता है। जिसमे से गाय, कुत्ता, चींटी और देवताओं के लिए पत्ते पर तथा कौवे के लिए भूमि पर अंश रखा जाता है।

फिर प्रार्थना की जाती है कि इनके माध्यम से हमारे पितर भोजन ग्रहण कर प्रसन्न हों। कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है ,चींटी अग्नि तत्व का, कौवा वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक माने जाते हैं। इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं।

पितृ पक्ष में गौ सेवा का विशेष फल

पंडित राजा आचार्य ने बताया कि पितृ पक्ष में गौ सेवा का विशेष महत्व है। केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं। इसलिए पितृ पक्ष में गाय की सेवा करने से विशेष फल मिलता है। गाय को चारा खिलाने और सेवा करने से पितरों को तृप्ति मिलती है। गौ सेवा से श्राद्ध कर्म पूर्ण माना जाता है।

पितृ पक्ष में गाय की सेवा का विशेष महत्व इसलिए है क्यों की मात्र गौ सेवा से पितरों को मुक्ति व मोक्ष प्राप्त होता है। पितृ पक्ष में गाय को चारा खिलाना ब्राह्मण भोज के तुल्य माना गया है। पितृ पक्ष में अगर पञ्च गव्य का प्रयोग किया जाय, तो पितृ दोष से मुक्ति मिल जाती है। पितृ तर्पण के साथ गौ दान करने से हर तरह के ऋण और कर्म से मुक्ति मिल जाती है।

कौए को भोजन कराने से होंगे पितृ प्रसन्न

ऐसी मान्यता है कि अगर पितृ पक्ष में आपके द्वारा दिया गया भोजन कौआ ग्रहण कर ले तो आपके पितृ प्रसन्न हो जायेंगे। कौआ यम देव का प्रतीक माना जाता है, और यमलोक में ही हमारे पितर वास करते है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कौओं को देवपुत्र भी माना गया है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि यदि कौआ आपके श्राद्ध का भोजन ग्रहण कर लेता है तो समझा जाता है कि पितर प्रसन्न और तृप्त हैं और यदि कौआ आपके द्वारा दिया गया श्राद्ध का भोजन ग्रहण ना करे तो यह समझा जाता है कि पितर नाराज और अतृप्त हैं।

भैरव महाराज को करना है प्रसन्न तो कुत्ते को कराए भोजन

पंडित राजा आचार्य ने बताया कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म के दौरान कुत्ते को पत्ते पर भोजन परोसा जाता है। श्राद्ध कर्म में कुत्ते को भोजन देने से भैरव महाराज प्रसन्न होते हैं। अपने भक्त पर आने वाले हर तरह के आकस्मिक संकटों से भैरो बाबा रक्षा करते है।

साथ ही कुत्ता राहु, केतु के बुरे प्रभाव और यमदूत, भूत प्रेत आदि से भी रक्षा करता है। कुत्ते को प्रतिदिन भोजन देने से व्यक्ति को दुश्मनों का भय मिट जाता है और व्यक्ति निडर हो जाता है। आचार्य ने यह भी बताया कि पितृ पक्ष में कुत्तों को मीठी रोटी खिलाना अधिक फलदायी है।

पितृ पक्ष में चिटियों को भी भोजन कराने का है महत्व

इस पितृ पक्ष में चींटी के लिए पत्ते पर भोजन परोसने का विशेष महत्व है। चिटियों को भोजन कराने से समस्त संकटों का नाश होता है और घर परिवार में सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही देवबलि अर्थात पत्ते पर देवी देवता और पितरों को भोजन परोसा जाता है। श्राद्ध कर्म पूर्ण होने पर इसे उठाकर घर से बाहर उचित स्थान रख दिया जाता है।

(NOTE: इस खबर में दी गई संपूर्ण जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं।)

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