E-DFC: ईस्टर्न कॉरिडोर से जुड़ा बिहार, अब बढ़ेगी ट्रेनों कीरफ्तार, जानिए और भी फायदे
		आजाद भारत का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट पूरे देश में डीएफसी बनाने का है इससे बड़ा प्रोजेक्ट स्वतंत्रता के बाद से अब तक दूसरा नहीं है। हमारी वर्तमान रेलवे को अंग्रेजों ने बनाया था और उसको धीरे-धीरे सुधार करते-करते अब इस स्थिति में लाया गया है।
आपको बता दें कि ईडीएफसी अपने तरीके का बिल्कुल नया प्रोजेक्ट है जो भारत सरकार ने 2006 में शुरू की थी, आइए आपको बताते हैं इससे क्या-क्या फायदे आने वाले समय में देश को होगी।
क्या है ईडीफसी (E-DFC)
यह एक ऐसी रेलवे ट्रैक जो सिर्फ मालगाड़ियों के लिए बनाई गई है और यह एक लंबी और बड़ी सी रेलवे ट्रैक होती है जहां यात्री गाड़ी नहीं चलाई जाती और इसे भारी सामानों के एक जगह से दूसरी जगह ले जाने- आने में इस्तेमाल किया जाता है, जो माल गाड़ियों द्वारा पहुंचाई जाती है। इसे ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (Eastern Dedicated Freight Corridor) कहते है।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के उद्घाटन करने के बाद, अब बिहार से जुड़ गया है और अब माल गाड़ियों की आवाजाही में कोई दिक्कत नहीं होगी।
प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा इस कॉरिडोर (eastern dedicated freight corridor ) को न्यू दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से बिहार के सोन नगर तक बने 137 किलोमीटर लंबे रूट का उद्घाटन बीते शुक्रवार को किया गया और गोरखपुर से पीएम मोदी ने इसे डिजिटली हरी झंडी दिखाया ।
आपको बता दें कि इस परियोजना मेंअब तक 5705 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं और इसके बनने से पूर्व मध्य रेलवे के अंतर्गत चलने वाली ट्रेनों की रफ्तार और बढ़ जाएगी जिससे पटना से हावड़ा व दिल्ली मुख्य लाइन से ट्रेनों की भीड़ कम हो जाएगी।
पहले ही दिन डीडीयू से सोन नगर तक गुड्स ट्रेन को भरे माल के साथ परिचालन किया और और 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से यह गाड़ी न्यू दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से सोननगर तक पहुंची।
बिहार के कौन कौन से स्टेशन इस कॉरिडोर के अंतर्गत
आपको बता दें कि ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना पंजाब के (लुधियाना) साहनेवाल से शुरू होकर पश्चिम बंगाल के दनकुनी स्टेशन तक जाएगी और यह 1875 km लंबी है। इस परियोजना के अंतर्गत बिहार के ईस्टर्न रीजन के बहुत से स्टेशन आते हैं जिसमें बिहार का भभुआ, रोहतास ,औरंगाबाद व गया जिले से होकर माल गाड़ियां गुजरेगी।
इसके अलावा अब तक इसका विस्तार रोहतास तक हो चुका है और इस कॉरिडोर में बिहार के 239 किलोमीटर के क्षेत्र के लिए 11 स्टेशन बने हैं इसमें दुर्गावती स्टेशन, कुदरा, सासाराम,करवंदिया, सोननगर, न्यू सोननगर लिंक, न्यू चिरालपातू स्टेशन बनाया गया है इसके अलावा रफीगंज, कसथा व पहाड़पुर स्टेशन को बनाने का काम जारी है।
अब बढ़ेगा व्यापार

आपको बता दें कि ईस्टर्न डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (E-DFC) के बन जाने से देश में व्यापर को काफी मदद मिल सकेगी और अब कारोबारियों को व्यस्त रूठ के कारण सामान पहुंचाने में लेट नहीं होगा जिससे व्यापार में वृद्धि होगी और कारोबार भी बढ़ेगा।
आपको बता दें कि पूर्व मध्य रेलवे के दानापुर व धनबाद के साथ ही पांच और मंडल ऐसे हैं जिनमें क्षमता से ज्यादा गाड़ियां चलाई जा रही है और इससे पटना से हावड़ा रूट हमेशा व्यस्त रहता है जिससे माल समय पर पहुंचाना मुश्किल होता है।
और यात्री ट्रेन के साथ-साथ मालगाड़ी भी अक्सर रास्ते में फंसी रहती है जिससे कारोबारियो को व्यापार की दृष्टि से काफी नुकसान उठाना पड़ता है। इस कॉरिडोर के बनने से मालगाड़ी लेट नहीं हुआ करेंगे और इससे लेटलतीफी से छुटकारा मिलेगा।
क्या-क्या होंगे फायदे
आपको बता दें कि स्वतंत्रता के बाद का भारत का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट डीएफसी को विकसित करना है जिससे देश में लॉजिस्टिक के खर्चे कम हो जाएंगे और जानकारों की माने तो बिहार के इस कॉरिडोर के बनने से व्यापार में काफी सहायता मिलेगी।
अब सामानों की आवाजाही में कम समय लगेगा और माल के समय पर आने से आसपास के प्रदेशों और देश के कोने कोने में इसे समय पर पहुंचाया जा सकेगा। और कम समय में ज्यादा सामान पहुंचने में मदद मिलेगी।
और इससे लॉजिस्टिक के साथ-साथ मैन पावर पर होने वाले खर्च को भी बचाया जा सकेगा। जिससे अंततः देश में सामानों की कीमतों में गिरावट आएगी और अभी जो सामान ₹10 में मिल रहा है आने वाले समय में इसकी कीमत कुछ कम अदा करनी होगी।
बढ़ेगी गाड़ियों की रफ्तार

ईस्टर्न रीजन में इस परियोजना के विस्तार होने से 187 5 किलोमीटर तक बिना यात्री ट्रेनों के बीच में आए माल गाड़ियां पटरी पर आसानी से दौड़ सकेंगी और इनकी रफ्तार अब अधिकतम 100 किलोमीटर प्रति घंटे हो सकेगी हालांकि इनको 65 से 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ही चलाया जाएगा।
लेकिन यात्री ट्रेनों को अब पास देने की और लूप लाइन में खड़े रहने की झंझट से मुक्ति मिलने से इनकी रफ्तार में काफी वृद्धि होगी और अब सही समय पर कम खर्च के साथ सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया जा सकेगा।
वर्तमान में इस कॉरिडोर के लिए सबसे ज्यादा कोयले की बुकिंग की गई है, जो झारखंड से बिहार होते हुए यूपी, बंगाल, दिल्ली और पंजाब तक जाएगा। आपको बता दें कि इससे पहले सिर्फ एक ही रेलवे ट्रैक पर यात्री ट्रेन और माल गाड़ियां चला करती थी जिससे माल गाड़ियों को काफी लंबे समय तक लाइन में खड़ा होना पड़ता था।

