पारंपरिक खेती छोड़ बिहार में शुरू हुई उन्नत किस्म की केले की खेती, किसानों को हो रहा मुनाफा

cultivation of advanced variety of bananas started in gaya

परंपरागत खेती में होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए किसान अब खेती के ट्रेंड को हीं बदल रहे हैं। किसानों में अब कैश क्रॉप्स की खेती के प्रति रुझान बढ़ने लगा है। आमतौर पर गया जिले में धान और गेहूं की व्यापक पैमाने पर खेती होती है।

लेकिन पिछले कई सालों से गया में किसानों को मौसम साथ नहीं दे रहा है। समय पर बारिश नहीं होने के कारण किसानों को धान तथा गेहूं की फसल में भी काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है।

धान और गेहूं जैसे फसलों में हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए किसान अब आधुनिक खेती की ओर बढ़ रहे हैं। जिसमें केले की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

केले की खेती के लिए गया का मौसम भी अनुकूल माना जाने लगा है। जिले के कुछ हिस्से में केला की खेती बड़े पैमाने पर की गई है। जिसमें किसानों को अच्छा मुनाफा भी हो रहा है।

यूट्यूब से जानकारी लेकर शुरू की केले की खेती

शेरघाटी प्रखंड क्षेत्र के बिटीबीघा मेंकेले की खेती करने वाले किसान अजीत सिंह ने न्यूज18 लोकल को बताया कि 1 एकड़ में केले की खेती शुरू की है।

जिसमें लगभग 1 लाख रुपए का लागत आया है और पिछले एक साल में 2 लाख रुपए का केला बेच चुके हैं। उन्होंने बताया कि गया में किसान धान और गेहूं की खेती करते हैं।

Banana farming started by taking information from YouTube
यूट्यूब से जानकारी लेकर शुरू की केले की खेती

लेकिन इससे हटकर यूट्यूब के माध्यम से केले की खेती के बारे में जानकारी ली और इसकी खेती शुरू कर दी है और अब इससे मुनाफा भी हो रहा है।

केला कि बिक्री करने में नहीं होती है परेशानी

किसान अजीत सिंह ने बताया कि इस बारजी-9 वेरायटी का केला लगाएं है और इसकी बिक्री उनके खेत से ही या फिर शेरघाटी फल मंडी में आसानी से हो जाती है। पहली बार फसल को केला को तैयार होने में 12-13 माह का समय लग जाता है।

जबकि दूसरी बार मात्र 7-8 माह में ही तैयार हो जाता है। उन्होंने कहा कि केले की खेती करना काफी लाभप्रद है। जिले के किसानों को केले की बागवानी के लिए जागरूक भी किया जा रहा है। हालांकि अभी तक सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली है। बाबजूद इस खेती को और बड़े पैमाने पर करना चाहते हैं।

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