बिहार: रसगुल्ले के कारण 32 घंटे तक नहीं चली 74 ट्रेनें, मामला जान आप भी कह उठेंगे – अरे! ऐसा भी होता है

74 trains did not run for 32 hours due to rasgulla

आंदोलनों के दौरान रेल चक्‍का जाम नई बात नहीं। ट्रेनों के ठहराव को लेकर भी आंदोलन होते रहे हैं। लेकिन बिहार के लखीसराय के बड़हिया स्‍टेशन पर 10 ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर हुआ आंदोलन जरा हटकर था।

आपको जान कर आश्‍चर्य होगा कि इसके पीछे बड़े कारण रसगुल्‍ला व देवी मां का मंदिर थे। ट्रेनों का ठहराव नहीं होने के कारण बड़हिया के प्रसिद्ध रसगुल्‍ले का व्‍यापार प्रभावित हो गया है तो मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्‍या में आई कमी से स्‍थानीय बाजार में मंदी दिख रही है।

इससे पेरशान स्‍थानीय लोगों ने आंदोलन का रास्‍ता अख्तियार किया। इस कारण करीब 32 घंटे तक हावड़ा-दिल्‍ली रेलखंड पर ट्रेनों का आवागमन प्रभावित रहा। इतना ही नहीं, 74 ट्रेनों का परिचालन स्‍थगित करना पड़ा।

Trains halted for 30 hours due to Rasgulla
रसगुल्ले के कारण रुकी ट्रेनें

ट्रेनों के ठहराव की मांग को ले ट्रैक पर लगाया जाम

दानापुर मंडल के बड़हिया स्टेशन पर रविवार से सोमवार की शाम तक 32 घंटों तक स्‍थानीय लोगों ने 10 ट्रेनों के ठहराव की मांग को लेकर रेलवे ट्रैक पर जाम लगाया। इस दौरान रेलवे को 84 ट्रेनों को दूसरे मार्ग से चलाना पड़ा।

जबकि, 74 ट्रेनों का परिचालन स्थगित करना पड़ा। दो ट्रेनों को शार्ट टर्मिनेट भी किया गया। आंदोलन के दौरान पटना व किउल के बीच ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह ठप रहा। यह आंदोलन उन 10 ट्रेनों के पहले की तरह ठहराव की मांग को लेकर था, जो कोरोना काल के पहले यहां रुकती थीं।

Villagers protested for more than 30 hours demanding stoppage of 7 trains in Barhiya
ट्रेनों के ठहराव की मांग को ले ट्रैक पर लगाया जाम

मंडल रेल प्रबंधक प्रभात कुमार ने बताया कि फिलहाल पाटलिपुत्र एक्सप्रेस का पहले की तरह बड़हिया स्टेशन पर ठहराव दे दिया गया है। शेष नौ ट्रेनों के ठहराव पर विचार कर शीघ्र ही निर्णय लिया जाएगा।

ट्रेनों का ठहराव बंद होने से रसगुल्‍ला व्‍यवसाय प्रभावित

अब बात आंदोलन के रसगुल्‍ला कनेक्‍शन की। लखीसराय के बड़हिया के रसगुल्ला की बिहार में अलग पहचान है। यहां के सस्ता और बढ़िया रसगुल्ला की मांग बिहार ही नहीं, राज्‍य के बाहर झारखंड और उत्‍तर प्रदेश तक रहती है।

शादी या किसी खास मौके पर यहां के रसगुल्‍ले दूर-दूर तक लोग ले जाते हैं। बड़हिया के राम नरेश यादव व रमेश सिंह बताते हैं कि इस छोटे से कस्‍बे में रसगुल्‍ले की करीब तीन सौ स्‍थाई दुकानें हैं। मांग बढ़ने पर इसकी संख्‍या और बढ़ जाती है।

The business of rasgulla has been going on in Barhiya for years.
ट्रेनों का ठहराव बंद होने से रसगुल्‍ला व्‍यवसाय प्रभावित

कोरोनावायरस संक्रमण के काल में बड़हिया में ट्रेनों का ठहराव बंद होने का असर रसगुल्‍ला के व्‍यवसाय पर पड़ा। महामारी के खत्‍म होने के बाद भी ट्रेनों का ठहराव अभी तक नहीं दिया गया था। इससे लाेग आंदोलन पर उतर आए।

रसगुल्‍ले का ट्रेनों के ठहराव से क्‍या है संबंध, जान लीजिए

सवाल यह है कि रसगुल्‍ले का ट्रेनों के ठहराव से क्‍या संबंध? ट्रेनों से रसगुल्‍ले का व्‍यापार आसान व सस्‍ता है। रसगुल्‍ला के व्‍यापारी रंजन शर्मा कहते हैं कि ट्रेन से बड़हिया से पटना आने का किराया 55 रुपये है और समय भी केल दो घंटे लगता है।

यात्री अपने साथ सामान (रसगुल्‍ला) भी ले जा सकते हैं। व्‍यापारी अगर रसगुल्‍ला को सड़क मार्ग से लेकर चलें तो पटना आने के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट में 150 रुपये किराया तथा समान के लिए अलग से पैसे लगेंगे। समय भी ट्रेन की तुलना में दोगुना लगेगा।

व्‍यापारी अगर अपनी गाड़ी बुक करते हैं तब तो साढ़े तीन से साढ़े पांच हजार रुपये तक खर्च हो जाएंगे। शादी के मौसम में मांग बढ़ने पर यह खर्च और अधिक हो जाता है।

देवी मां मंदिर के श्रद्धालुओं में आई कमी, बाजार प्रभावित

इसके अलावा यहां एक प्रसिद्ध देवी मां मंदिर है, जहां हर शनिवार और मंगलवार को 10 हजार से ज्यादा श्रद्धालु पहुंचते रहे हैं। ट्रेनों का ठहराव बंद होने के कारण दूर-दूर से आने वाले श्रद्धालुओं को परेशानी हो रही थी।

इस कारण श्रद्धालुओं की संख्‍या गिर रही थी। यह देवी मंदिर बड़हिया की अर्थव्‍यवस्‍था में महत्‍वपूर्ण है, क्‍योंकि इसके सहारे यहां एक स्थानीय बाजार चल रहा है। ट्रेनों का ठहराव बंद होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्‍या कम हो गई तो बाजार भी प्र‌भावित हो गया।