बिहार का ऐसा गाँव जहाँ केवल 3 लोग ही है इंटर पास, 5वीं के बाद नहीं पढ़ते बच्चे, जानिए क्यों

Vikas Kumar
5th pass village of bihar with three intermediate pass students
बिहार का ऐसा गाँव जहाँ केवल 3 लोग ही है इंटर पास, 5वीं के बाद नहीं पढ़ते बच्चे, जानिए क्यों

बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों में ड्रॉपआउट यानि स्कूल छोड़ने का मामला नया नहीं है। और तो और इसमें लगातार वृद्धि ही हो रही है। इसे रोकने के लिए शिक्षा विभाग लगातार प्रयासरत है। लेकिन इसके बावजूद भी सरकारी विद्यालय से ड्रॉपआउट बच्चों के संख्या में कमी नहीं आ रही है।

शिक्षा विभाग द्वारा ड्रॉपआउट के मामले को कम करने के लिए बच्चों के माता-पिता की काउंसलिंग करने की योजना थी। लेकिन यह योजना धरातल पर सफल नहीं दिख रहा है। इसी कारणवश 5वीं कक्षा के बाद ड्रॉपआउट बच्चों की संख्या अधिक है।

आज हम आपको बिहार के एक ऐसे ही गांव की कहानी बताने जा रहे हैं ,जहां इस गांव के सभी बच्चे पांचवी कक्षा की पढ़ाई पूरा करने के बाद ड्रॉप आउट हो जाते हैं और आगे की पढाई नहीं करते।

कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों की होती है पढ़ाई

दरअसल यह पूरी कहानी गया जिले के आमस प्रखंड क्षेत्र के भुपनगर गांव की है। भुपनगर गांव पहाड़ों के बीच में स्थित है और इस गांव में जाने के लिए कोई सड़क उपलब्ध नहीं है।

लोग यहाँ पथरीले और जंगली रास्तों से होकर स्थानीय बाजार या प्रखंड मुख्यालय आमस तक पहुंचते हैं। आमस से भुपनगर की दूरी करीब 7 किलोमीटर है।

Primary school of Bhupnagar village of Gaya district
गया जिले के भुपनगर गाँव का प्राथमिक विद्यालय
Photo Credit: News18

इस गांव में केवल एक ही प्राथमिक विद्यालय मौजूद है, जहां पर कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों की पढ़ाई-लिखाई होती है। लेकिन 5वीं कक्षा तक की पढ़ाई ख़त्म होने के बाद यहाँ के बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते।

इसका मुख्या कारण यह है कि यह गांव जंगल और पहाड़ों के बीच बसा हुआ है। आसपास के क्षेत्र में कोई भी माध्यमिक या हाई स्कूल भी नहीं है। पथरीली और जंगली रास्ता तथा दूसरे स्कूल की दूरी अधिक होने के कारण यहां के छोटे छोटे पांचवी पास बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं करना चाहते।

इस गाँव से केवल 3 बच्चे ही इंटर पास

भुपनगर गांव में स्थित प्राथमिक विद्यालय भुपनगर के प्रभारी प्रधानाचार्य जितेंद्र कुमार ने बताया कि वह इस विद्यालय में पिछले 20 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं। इन 20 वर्षों में गांव के 200 से अधिक लोगों ने यहाँ अपनी पढ़ाई की, लेकिन इसमें से कुछ ही बच्चे आगे की पढ़ाई कर पाए है।

अभी तक इस गांव से सिर्फ 3 बच्चों ने ही इंटर की परीक्षा पास की है। फिलहाल इस विद्यालय में कक्षा एक से पांचवी क्लास के लिए लगभग 60 बच्चों का नामांकन हुआ है।

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पिछले 20 वर्षो में गांव के 200 लोगों ने की पढ़ाई

गाँव की कुल आबादी लगभग 400 के आस पास हैं। सभी महादलित समुदाय से आते है। गांव मे शिक्षा को लेकर जागरूकता का काफी आभाव है। जिसका नतीजा यह है की पिछले 20 वर्षो में इस गांव के तकरीबन 200 लोगों ने पढ़ाई की, लेकिन पांचवी के बाद सिर्फ 8-10 बच्चे ही आगे की पढाई कर सके। वह भी दूसरे गांव मे रहकर।

आज भी यहां कि स्थिति ऐसी है की कोई आगे की शिक्षा ग्रहण नहीं करना चाहता। हालांकि शिक्षा विभाग द्वारा कुछ बदलाव के बाद अब कुछ बच्चों का नामांकन स्कूल के द्वारा ही अन्य गांव स्कूल के छठी कक्षा में कराया गया है, लेकिन बच्चे स्कूल नहीं जा पाते।

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गाँव के लोगों ने जिला प्रशासन से की मांग

गांव के लोगों और प्राथमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाचार्य की जिला प्रशासन से ये मांग है कि गांव में या आसपास कम से कम एक मध्य विद्यालय का निर्माण करवाया जाए ताकि इस गांव के बच्चे आठवीं तक की पढ़ाई पूरी कर सकें।

बच्चे जब आठवीं तक की पढ़ाई कर लेंगे तो उनमें पढ़ाई को लेकर स्वयं जागरूकता आएगी। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि गया जिला प्रशासन इस गांव के बच्चों के ड्रॉपआउट की संख्या को रोकने के लिए क्या कुछ कार्य योजना तैयार करती है?

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