पांचवी पास महिला कर रही है सेव और अनार की खेती, कमाई देखकर उड़ जाएंगे आपके होश
वह कहते हैं ना मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती इसी को सच साबित कर दिखाया है राजस्थान की एक महिला जिसका नाम संतोष देवी है इनकी कड़ी और मेहनत ने इनको चर्चा में ला दिया है|

प्रेरणादायक है संतोष की कहानी
संतोष देवी ने कुछ साल पहले से सेव और अनार की खेती करना चालू किया था जिसे अब वह महीना के डेढ़ लाख से लेकर दो लाख तक रुपए तक कमा रहे हैं|

प्रदेश के सीकर जिले के बेरी गांव में शेखावती फार्म चलाने वाली तथा कृषि वैज्ञानिक की उपाधि से सम्मानित संतोष देवी खेदड़ और उनके पति राम करण खेदड़ की यह कहानी काफी प्रेरणादायी है।

220 पौधों से किया था शुरुआत
संतोष देवी ने बताया कि अनार की जैविक खेती की शुरुआत सिंदूरी अनार ( Anar Ki kheti ) के 220 पौधे से हुई। ड्रिप सिस्टम से पौधों की सिंचाई की। 2008 में लगाए पौधों ने वर्ष 2011 में फल देने शुरू कर दिए।
पहली ही साल तीन लाख रुपए का मुनाफा हुआ। इसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और वर्तमान में संतोष देवी अनार की खेती के दम कृषि वैज्ञानिक की उपाधि तक से नवाजी जा चुकी हैं।

गांव में ही लगता था संतोष का मन
आपको बता दें कि राजस्थान के झुंझुनू जिले के गांव कोलसिया में जन्मीं संतोष देवी के पिता दिल्ली पुलिस में नौकरी करते थे। वे चाहते थे कि उनकी दोनों बेटियां भी दिल्ली में रहकर पढ़ें

लेकिन संतोष का मन पढ़ाई में नहीं लगा और उसने 5वी तक दिल्ली में पढ़ाई की, और वापस गांव आ गई। यहां उसने खेती के सारे गुर सीख लिए। महज 12 साल की उम्र में संतोष को वह सब कुछ आता था, जो एक किसान को आना चाहिए।
पूर्वजों ने दिए खेती के गुण
पिता की दिल्ली पोस्टिंग के कारण संतोष की पांचवीं तक की पढ़ाई दिल्ली में हुई। इसके बाद वे गांव आ गई। गांव में परिवार खेती करता था। संतोष की बचपन से खेती में दिलचस्पी थी|

महज15 की उम्र में बेरी के रामकरण के शादी करने से पहले ही संतोष खेती के गुर भी सीख चुकी थी। उसके बाद गांव में ही रह कर की शुरुआत और आज कमा रहे हैं लाखों रुपए महीने के
भैंस की बिक्री कर लगवाया था बोरिंग
संतोष व उसकी छोटी बहन की शादी एक ही घर में हुई। शादी के कुछ साल बाद तक सब कुछ सामान्य चलता रहा, मगर आर्थिक तंगी थी। वर्ष 2005 में पति रामकरण तीन हजार महीने में होम गार्ड की नौकरी करते थे।

वर्ष 2008 में संतोष ने अनार की खेती करने की ठानी और अपनी इकलौती भैंस बेचकर खेत में नलकूप लगवाया। बिजली नहीं होने के कारण उसे जनरैटर से चलाया।

